काशी विश्वनाथ धाम मॉडल से ली जाएंगी रोपवे की जमीनें
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:वाराणसी में देश के पहले और दुनिया के तीसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे के लिए उपयोग होने वाली जमीनों को लेने के लिए काशी विश्वनाथ धाम का मॉडल अपनाया जाएगा। रोपवे के पांच स्टेशन और 30 टॉवर के लिए चिन्हित जमीनों के अधिग्रहण के बजाय आपसी सहमति से बैनामा कराया जाएगा। इसके लिए शासन ने 60 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। आपसी समझौते के आधार पर मंगलवार को पहला बैनामा भी हो सकता है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने रोपवे निर्माण के लिए जमीन खरीदने का खाका तैयार कर लिया है। जो तय हुआ है, उसके मुताबिक, वाराणसी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रोपवे परियोजना को जनसहभागिता से जोड़ा गया है। जमीनों की खरीद में काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
1.59 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी
इसके लिए कैंट से गोदौलिया के बीच आवश्यक 1.59 हेक्टेयर जमीन को आपसी सहमति से लेने के लिए प्राधिकरण ने टीम गठित कर दी है। यह टीम जमीन मालिकों से सहमति बनाकर उनसे विकास प्राधिकरण के हक में बैनामा कराएगी। बैनामे के लिए जमीन के मालिकों से वार्ता का क्रम लगभग पूरा हो गया है। मंगलवार तक पहला बैनामा कर इसकी शुरूआत करने की तैयारी है।वाराणसी की सबसे बड़ी काशी विश्वनाथ परियोजना में 300 से ज्यादा संपत्तियों का निर्विवाद रूप से आपसी सहमति के आधार पर बैनामा कराया गया था। रोपवे रूट पर पड़ने वाली सरकारी जमीनें निशुल्क ली जाएंगी। इसके लिए पंजीकृत इकरारनामे के जरिये अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाएगा। काशी विद्यापीठ सहित अन्य सरकारी संस्थाओं से जमीन के लिए इकरारानामा कराने की तैयारी है। रोपवे के टाॅवर और स्टेशन के लिए करीब 40 संपत्तियों की आवश्यकता है। इसमें 18 संपत्तियां निजी हैं। करीब 3.7 किमी लंबी इस परियोजना में निजी जमीनों के लिए 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।