उत्तर प्रदेशराज्य

फार्मा हब बनेगा यूपी, परिवहन पर होने वाला खर्च भी बचेगा

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:प्रदेश फार्मा हब बनने की ओर बढ़ रहा है। फार्मा पार्क और उप्र. इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्थापना होने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही नई दवाओं की खोज भी हो सकेगी। इससे घरेलू दवा बाजार को बढ़ावा मिलेगा और प्रदेश में ही दवाएं तैयार हो सकेंगी। कई अन्य बदलाव भी स्वास्थ्य क्षेत्र में देखने को मिलेंगे।

दरअसल, राज्य सरकार फार्मा क्षेत्र को उभारने की कवायद में जुटी है। इसी रणनीति के तहत बजट में फार्मा पार्क की स्थापना एवं विकास के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस पार्क के विकसित होने से दवाओं के परिवहन पर होने वाला खर्च भी बचेगा। फार्मा पार्क विकसित करने के लिए सरकार ने ललितपुर में करीब 2000 एकड़ जमीन चिह्नित की है। यहां इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर 1560 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 

इसी तरह लखनऊ के एसजीपीजीआई में डिवाइस पार्क और नोएडा के पास मेडटेक पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इससे साफ है कि दवा एवं उपकरण निर्माण के क्षेत्र में यूपी स्वावलंबी बनने की ओर अग्रसर है। अभी तक इस तरह के पार्क केरल, हिमाचल और कर्नाटक में ही हैं। यूपी में ज्यादातर दवाएं हिमाचल से ही आ रही हैं। एनबीआरआई, सीमैप, सीडीआरआई और आईआईटीआर जैसी वैज्ञानिक संस्थाएं पहले से ही हैं। इसका भी फायदा प्रदेश को मिलेगा। 

इंस्टीट्यूट बनने से शोध को मिलेगा बढ़ावा
इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्थापना से शोध को बढ़ावा मिलेगा। दवाओं में प्रयोग होने वाले मूल केमिकल को नए सिरे से विकसित किया जा सकेगा। शोध के साथ ही फार्मा के क्षेत्र में कार्य करने वालों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। नई दवाएं उपलब्ध होंगी और वैक्सीन बन सकेगी। 

मेडिकल टेक्नोलॉजी का विकास हो सकेगा। एकेटीयू केडीन इनोवेशन एंड इक्यूबेशन प्रो. बीएन मिश्रा का कहना है कि इंस्टीट्यूट के बनने से डायग्नोसिस किट भी तैयार हो सकेगी। अब नई दवाओं के खोज में जानवरों पर प्रयोग कम हो रहा है। ऐसे में भविष्य में ह्यूमन मॉडल बनाया जाएगा और उस पर प्रयोग किया जा सकेगा। नैनो मेडिसिन और पर्सनलाइल्ड मेडिसिन का रास्ता निकालेगा। केजीएमयू, पीजीआई सहित अन्य चिकित्सा संस्थानोें के साथ मिलकर कृत्रिम उपकरण भी तैयार किए जा सकेंगे।

प्रदेश में भरपूर मैनपावर
उप्र. फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील कुमार यादव का कहना है कि इंस्टीट्यूट एवं फार्मा पार्क बनने से प्रदेश को नई दिशा मिलेगी। यहां भरपूर मैनपावर का उपयोग हो सकेगा। साथ ही बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख से अधिक प्रशिक्षित फार्मासिस्ट हैं। हर साल करीब 20 से 25 हजार बी फार्मा, एम फार्मा, पीएचडी छात्र निकलते हैं। इनकी योग्यता का उपयोग हो सकेगा और फार्मा सेक्टर में बेरोजगारी कम होगी।

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