निवेशकों की नजर उद्योगों के नए ‘उत्तराधिकारी’ पर
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की सफलता में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) अरविंद कुमार इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। उनके पास निवेश लाने से लेकर प्रस्तावों को जमीन पर उतारने तक की ऐसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें कभी कई अफसर अलग-अलग निभाते रहे हैं। ऐसे में निवेशकों की नजर सबसे पहले उनकी मदद में तत्पर रहने वाली नई टीम पर है।
राज्य सरकार ने जीआईएस में 33.50 लाख करोड़ के निवेश हासिल किया है। इसमें अरविंद की अहम भूमिका रही। उनके पास अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा एनआरआई जैसे विभागों के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के साथ ही पिकप के चेयरमैन और यूपीडा व उपशा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की भी जिम्मेदारी है। अमूमन यह जिम्मेदारियां अलग-अलग लोगों के पास रहती हैं। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी अरविंद के इस महीने रिटायर होने के बाद ये सभी पद खाली हो जाएंगे। समिट में कई निवेशक सवाल करते नजर आए कि अगला आईआईडीसी कौन होगा? क्या आईआईडीसी सहित सभी जिम्मेदारियां फिर किसी एक ही अफसर को दी जाएगी या अलग-अलग लोगों को काम सौंपे जाएंगे?
दरअसल, पिछले वर्षों में ऑनलाइन निवेश मित्र पोर्टल से निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन के दावों के बावजूद कई निवेशक अपने प्रस्तावों पर अमल को लेकर अलग-अलग तरह की मुश्किलें साझा करते आए हैं। मगर, सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में अरविंद ने फ ीडबैक के आधार पर नीतियों में सुधार, ऑनलाइन निवेश मित्र पोर्टल के अपग्रेडेशन, निवेश सारथी की नई पहल और ऑनलाइन इंसेंटिव मैनेजमेंट सिस्टम से निवेशकों का हौसला बढ़ाया। पर, अब जब एमओयू के बाद निवेशकों की अगली प्राथमिकता अपने प्रस्तावों के क्रियान्वयन की है, उनका नौकरशाही से पाला पड़ना तय है। ऐसे में सिस्टम में सुधारों की राह पर बढ़े अरविंद की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी जिम्मेदारी वाले कामों का बंटवारा सरकार किस तरह करती है, निवेशकों के साथ सभी की निगाहें लगी हैं।