सहारनपुर हिंसा में वायरल मैसेज के पीछे की कहानी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:8 जून, जुमे से 2 दिन पहले सहारनपुर में जमीयत उलमा-ए-हिंद से जुड़ा एक मैसेज इंटरनेट पर वायरल हुआ। मैसेज में जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की फोटो लगी थी। लिखा था- 10 जून को जुमे की नमाज के बाद सभी मस्जिदों से जुलूस निकलना चाहिए। मैसेज वायरल होने के 24 घंटे बाद मौलाना मदनी ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा, “जुलूस के मैसेज से उनका या उनके संगठन का कोई वास्ता नहीं है। आप सभी शांति बनाए रखें।” लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
जुमे के दिन, जिसका डर था वही हुआ। नमाज के बाद हजारों लोगों की भीड़ ने शहर का माहौल खराब दिया। SSP आकाश तोमर भागे आए। SP सिटी राजेश कुमार फोन पर फोन घुमाने लगे। कानपुर में हुई हिंसा के बाद उन्हें इस आग और उसकी लपट दोनों का अंदाजा था। पुलिस ने 10 घंटे के भीतर 30 आरोपी, वीडियो सबूत के साथ पेश किए। गिरफ्तारियां अब तक जारी हैं।
हिंसा के बाद हम जामा मस्जिद वाले इलाके में माहौल का जायजा लेने पहुंचे। चश्मदीदों से वायरल मैसेज पर बात की। उन्होंने जो बताया, वो हैरान करने वाला था।
चश्मदीद मोहम्मद अब्बास जामा मस्जिद में हर दिन पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं। अब्बास कहते हैं, “वॉट्सऐप पर घूम रहे मैसेज ने 8 से 9 जून के बीच सहारनपुर में डर का माहौल बना दिया था। 10 जून को हंगामा होने के डर से जामा मस्जिद से लेकर घंटाघर तक दुकानें पहले से बंद कर दी गईं। जुलूस का मैसेज कान-कान तक पहुंचाया गया। मैसेज में लिखी गई बातें उन तक भी पहुंची, जिनके पास फोन नहीं थे।”
अब्बास कहते हैं, “नमाज अदा कर के ज्यादातर लोग जा चुके थे। अचानक नेहरू मार्केट के पास हंगामा शुरू हो गया। कुछ युवाओं ने नारेबाजी करते हुए पत्थर उठा लिए। मगर, पुलिस ने उन्हें समय रहते पकड़ लिया। मुझे लगता है कि वायरल मैसेज पर मौलाना साहब का जवाब लोगों तक देर से पहुंचा। इसलिए ज्यादातर लोगों ने फेक मैसेज को ही सच मान लिया।