उत्तर प्रदेशराज्य

पीएफ घोटाले में फर्जी निकले दस्तखत

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में हुए 22 अरब रुपये के पीएफ घोटाले में आईएएस अफसर संजय अग्रवाल के दस्तखत फर्जी निकले हैं। फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद शासन ने कॉर्पोरेशन में तैनात रहे तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल व आलोक कुमार और तत्कालीन एमडी अपर्णा यू के खिलाफ पूछताछ की मंजूरी नहीं दी। सीबीआई ने कुछ समय पहले तीनों के खिलाफ पूछताछ चलाने की अनुमति मांगी थी।

सीबीआई को नहीं मिली पूछताछ की अनुमति

यह पीएफ घोटाला वर्ष 2019 में सामने आया था। पहले इसकी जांच ईओडब्ल्यू ने की। बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया था। शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने तथ्यों की पड़ताल की तो सामने आया कि जिस बोर्ड बैठक में ज्यादा रिटर्न देने वाली कंपनियों में निवेश का फैसला हुआ दिखाया गया, उस कार्यवृत्त पर तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल के दस्तखत फर्जी थे। 

उनके बाद चेयरमैन बने आलोक कुमार के इससे संबंधित एक कागज पर हस्ताक्षर जरूर मिले, लेकिन उन्होंने यह हस्ताक्षर पूर्ववर्ती चेयरमैन के हस्ताक्षर देखकर कर दिए थे। इसे गुड फेथ (पूर्ववर्ती अधिकारी पर भरोसा) में किया गया हस्ताक्षर माना गया। वहीं, अपर्णा यू के दस्तखत इस मामले से संबंधित सिर्फ एक बैलेंस शीट पर मिले। शासन का मानना है कि बैलेंस शीट से यह पता नहीं चलता कि राशि कहां निवेश की गई है। इसलिए उनका भी कोई दोष नहीं बनता। वर्तमान में 1984 बैच के आईएएस अधिकारी संजय अग्रवाल और 1988 बैच के अधिकारी आलोक कुमार केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। अपर्णा यू सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के पद पर तैनात हैं।

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