सहायक अध्यापकों के 31,661 पदों पर भर्ती को हरी झंडी
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 31,661 रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश के पांच दिन बाद गुरुवार को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के विज्ञापित 69,000 रिक्त पदों के सापेक्ष शिक्षामित्रों के लिए 37,339 पदों को छोड़ते हुए बचे हुए 31,661 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूर्व घोषित परिणाम के आधार पर कुछ शर्तों के अधीन पूरा करने का निर्णय किया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार की ओर से गुरुवार को इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 69,000 रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी। अभ्यर्थियों को उपलब्ध रिक्त पदों के अनुसार आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए जिले आवंटित किये जा चुके हैं। शासनादेश में कहा गया है कि पूर्व में आवंटित जिलों और आरक्षण को यथावत रखते हुए 31,661 पदों में से जिलों को समानुपातिक रूप से पद आवंटित करते हुए मेरिट के ऊपर से उतने ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। यह सभी नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन अनुज्ञा याचिका संख्या-11198/2020 रामशरण मौर्या व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य तथा 6687/2020 सूबेदार सिंह व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य में पारित होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन होंगी।
अभ्यर्थियों को आवंटित जिले भी इन याचिकाओं में पारित होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन होंगे। इन शर्तों का उल्लेख हर अभ्यर्थी के नियुक्ति पत्र में स्पष्ट रूप से अंकित किया जाएगा। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बीती 24 जुलाई को बहस पूरी गई थी और निर्णय सुरक्षित कर लिया गया था, जो अभी तक जारी नहीं हुआ है। शिक्षकों की अत्यधिक कमी तथा निकट भविष्य में स्कूलों को खोले जाने के मद्देनजर इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों आदेशों के अनुपालन में शिक्षामित्रों के 37,339 पदों को छोड़कर शेष पदों को भरने के लिए कार्यवाही को अपरिहार्य बताया गया है।
गौरतलब है कि 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुज्ञा याचिका रामशरण मौर्या व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य में बीती 21 मई को आदेश पारित कर कहा था कि जिन पदों को शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के रूप में धारण कर रहे हैं, उनसे छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। वहीं सूबेदार सिंह व अन्य बनाम राज्य सरकार व अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने नौ जून को आदेश दिया था कि 37,339 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए हैं।
विवादों में उलझी 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक दिसंबर 2018 को शासनादेश जारी हुआ था। भर्ती के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज की ओर से पांच दिसंबर 2018 को विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी। छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा का आयोजन हुआ था।
कैविएट दाखिल करने का निर्देश : यूपी सरकार को आशंका है कि सहायक अध्यापकों के 31,661 पदों पर भर्ती की कार्यवाही को अभ्यर्थियों की ओर से हाईकोर्ट की इलाहाबाद या लखनऊ खंडपीठ में चुनौती जा सकता है। इसलिए सचिव, उप्र बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया गया है कि वह इस संदर्भ में अदालत में तत्काल कैविएट दाखिल करें।
योगी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती : बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती में 31661 पदों को भरने के योगी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। बीटीसी छात्रों की वकील रितु रेनुवाल ने 22 सितंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर 31661 पदों पर भर्ती के यूपी सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। ऐसी स्थिति में जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता है, 31661 पदों पर भर्ती के यूपी सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जानी चाहिए।
दरअसल शिक्षामित्र कट ऑफ अंकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए हैं। रामशरण मौर्य बनाम राज्य सरकार मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में (65/60 कट ऑफ) फैसला सुनाया था, लेकिन इसके विरोध में शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट चले गए और पिछली भर्ती की तरह 45/40 कट ऑफ करने की मांग कर रहे हैं।
शिक्षामित्रों का दावा है कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में लगभग 45 हजार शिक्षामित्रों ने फार्म भरा था। उत्तरमाला के मुताबिक 45/40 अंकों पर 37 हजार से ज्यादा शिक्षामित्र पास हो रहे हैं, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी के मुताबिक 45/40 कट ऑफ पर केवल 8018 शिक्षामित्र पास हुए हैं।