उत्तर प्रदेशराज्य

यूएआइडीएआइ का सराहनीय काम

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:किसी कारणवश अपने घरवालों से बिछड़ गए 22 बच्चों का गुमनामी का जीवन समाप्त होने वाला है। अनाथालय में पल रहे इन बच्चों का पता उनके ही हाथ की ऊंगलियों की लकीरों ने बता दिया है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूएआइडीएआइ) ने एक शिविर लगाकर इन बच्चों को उनके माता पिता तक पहुंचाने का रास्ता खोज लिया है। यूआइडीएआइ ने 128 बच्चों के नए आधार कार्ड बनाने के लिए उनकी कानपुर के एक अनाथालय में बायोमीट्रिक की थी। जिसमें 22 बच्चों के बायोमीट्रिक के बाद यूनिक आइडी नंबर बनते समय ही यह पता चल गया कि उनका आधार कार्ड पहले बन चुका है।

उत्‍तर प्रदेश में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अनाथालय में जीवन बिता रहे लावारिस बच्चों के माता पिता का पता खोज न‍िकाला।

यूआइडीएआइ ने जब रिकार्ड खंगाला तो इन 22 खोए हुए बच्चों के माता पिता के बारे में भी जानकारी मिल गई। अब यूआइडीएआइ इन बच्चों के माता पिता से संपर्क कर रहा है। परिवार से बिछड़कर कई बच्चे अनाथालयों तक पहुंच जाते हैं। यह बच्चे अपनी पहचान नहीं बता पाते हैं। लेकिन जिन बच्चों के आधार कार्ड उनके माता पिता बनाते हैं। उन बच्चों की बायोमीट्रिक यूआइडीएआइ के पास सुरक्षित रहती है। यूआइडीएआइ ऐसे ही बच्चों का पता लगाने के लिए प्रदेश भर के सभी अनाथालयों में शिविर लगा रहा है। पहला शिविर जनवरी माह के अंत में कानपुर के अनाथालय में आयोजित किया गया था।यहां रहने वाले 128 लावारिस बच्चों के आधार कार्ड बनाने की बायोमीट्रिक की गई। जिनमें 22 बच्चों के आधार कार्ड की प्रक्रिया को सिस्टम ने रोक दिया। जब उन 22 बच्चों की प्रक्रिया रोके जाने की जांच की गई तो बताया गया कि उनका आधार कार्ड तो पहले ही बन चुका है। पहले बने आधार कार्ड का हाथ की लकीरों से मिलान होते हुए उनका पता मिल गया। यूआइडीएआइ ने बचपन में बने इन बच्चों के आधार कार्ड में दर्ज मोबाइल नंबर से उनके माता पिता से संपर्क भी किया है। यूआइडीएआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक माता पिता से बच्चों के बिछड़ने की जानकारी मिली है। अब उनके पुराने आधार कार्ड से माता पिता का वैरिफिकेशन भी किया जाएगा।

Related Articles

Back to top button