पांचों चरण के मतदान से रिजल्ट का एनालिसिस
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूपी विधानसभा चुनाव के 5 चरणों की वोटिंग हो चुकी है। पश्चिम से शुरू हुआ चुनाव अवध क्षेत्र तक आ पहुंचा। मतदाताओं ने भी लोकतंत्र के इस उत्सव में भागीदारी की। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह नहीं…। पांच चरण का वोटिंग प्रतिशत यही इशारा करता है। हर चरण में औसतन 1% कम वोटिंग हुई। जबकि 2012 में पांच चरणों की इन्हीं सीटों पर इसी पैटर्न पर वोटिंग हुई थी। इसमें भी शहरी क्षेत्र और ग्रामीण विधानसभा की तुलना करने पर भी संकेत साफ समझ आते हैं। पढ़ा-लिखा संभ्रांत तबका पोलिंग बूथ तक पूरी तरह से पहुंचा ही नहीं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों वाली विधानसभा में वोटिंग अच्छी हुई।
विधानसभा चुनाव 2022 के पांचों चरण की वोटिंग की तुलना 2017 से करने पर सामने आया कि पहले चरण में 1.2%, दूसरे चरण में 1.1%, तीसरे चरण में 2%, चौथे और पांचवें चरण में 1-1% वोटिंग घट गई। राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि वोटिंग प्रतिशत घटने के मायने यही है कि विपक्ष यानी बसपा और सपा का कोर वोटर घर से निकला। अब 2017 की वोटिंग की तुलना 2012 से करते हैं, तो सामने आता है कि उन्हीं सीटों पर पांचों चरण में 0.36% से लेकर 5% तक इजाफा हुआ था। शुरुआत प्रयागराज से करते हैं। सबसे ज्यादा वोटिंग फूलपुर में 60.40% हुई। बारा सुरक्षित विधानसभा में 58.50 और कोरांव सुरक्षित विधानसभा में 58.28% वोट पड़े। वहीं सोरांव विधानसभा में 57.56 और करछना विधानसभा में 57% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इसके अलावा प्रतापपुर विधानसभा में 56.02, फाफामऊ और मेजा विधानसभा में भी 56-56% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अब शहरी क्षेत्रों की बात करते हैं। प्रयागराज पश्चिम में 51.20% वोटिंग हुई है। इसके अलावा प्रयागराज दक्षिण में 47.05% मतदान हुआ। जबकि प्रयागराज शहर उत्तरी विधानसभा में सबसे कम 39.56% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। साफ है कि शहरी क्षेत्रों में वोट कम पड़े।