उत्तर प्रदेशराज्य

अमेठी से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे डा. संजय

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:विधानसभा अमेठी प्रदेश की हमेशा हाट सीट रही है। स्वर्गीय संजय गांधी व राजीव गांधी के यहां से चुनाव लड़ने के कारण अमेठी का नाम देशभर में हुआ। वहीं अमेठी के राजा राजर्षि रणंजय सिंह ने विधानसभा का पहला चुनाव 1951 में निर्दल जीत कर सब का ध्यान आकर्षित कर लिया था। बाद में उन्हीं की विरासत संभाल रहे उनके पुत्र व देश की राजनीति में बड़ा कद रखने वाले कद्दावर नेता डा संजय सिंह ने 1985 के चुनाव में 98.29 प्रतिशत वोट पाकर इतिहास रच दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजय सिंह अब 33 साल बाद फिर अमेठी से भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इससे पूरे अमेठी में उत्साह का माहौल है।

डा. संजय सिंह के पिता व अमेठी के राजा राजर्षि रणंजय सिंह ने विधानसभा का पहला चुनाव 1951 में निर्दल जीत कर सब का ध्यान आकर्षित कर लिया था। 

डा. संजय सिंह के पिता रणंजय सिंह की एक खासियत और रही कि वह कांग्रेस व जनसंघ दोनों से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें कभी पराजय नहीं मिली। विधायक होने के अलावा वह 1962 से 67 तक अमेठी से कांग्रेस सांसद भी रहे। वहीं उनके पुत्र संजय सिंह के सियासी सफर में काफी उतार- चढ़ाव आया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के बेटे संजय गांधी के साथ राजनीतिक यात्रा शुरू कर डा संजय 1980 में पहली बार विधानसभा में पहुंचे। मंत्री भी बने। 1985 के चुनाव में एक लाख 26 हजार मत में एक लाख 24 हजार वोट पाकर उन्होंने देश भर की सियासत में हलचल पैदा कर दिया था। उनका यह रिकॉर्ड आज तक देश में कोई भी नहीं तोड़ पाया है, लेकिन 1989 में वह जनता दल प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के हरिचरन यादव से भितरघात के चलते पराजित हो गए। अब 33 साल बाद अमेठी से ही वह फिर विधानसभा का चुनाव भाजपा की ओर से लड़ेंगे।

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