अपनों की नाराजगी पड़ सकती महंगी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:लखनऊ जिलें के अंदर आने वाली नौ में चार सीट सपा के अपने ही पुराने नेताओं की वजह से मुश्किल में आ गई है। सरोजनी नगर, महिलाहाबाद, बीकेटी और मोहनलालगंज में पार्टी से नाराज पुरान और कद्दावर चेहरों ने विरोध करते हुए पर्चा दाखिल कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह बागी समाजवादी पार्टी की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकते हैं। हालांकि नामांकन वापसी अभी भी संभव है लेकिन यह नहीं होता है तो निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की वजह से परेशानी बढ़ने वाली है।
अभिषेक मिश्रा के लिए शारदा बनेंगे मुसीबत
लखनऊ में नौ विधान सभा में सबसे ज्यादा चर्चा सरोजनीनगर सीट को लेकर है। पहले यहां बीजेपी में स्वाती और दयाशंकर सिंह के बीच लड़ाई थी। पति- पत्नी के बीच की लड़ाई में दूसरे को टिकट मिला। अब यहां सपा के लिए परेशानी बढ़ गई है।
शारदा सपा गठबंधन के सहयोगी दल प्रगति शील समाजवादी पार्टी से हैं। कभी मुलायम के करीबी हुआ करते थें। बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। अब यह पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा के ब्राह्मण चेहरे प्रो. अभिषेक मिश्रा के लिए मुसीबत बन गए हैं। जैसे ही अभिषेक मिश्रा को टिकट देने का ऐलान हुआ, वैसे ही शारदा प्रताप शुक्ला ने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय सुना दिया।
एक मात्र विधायक वह भी विरोध हो गया
2017 में भाजपा के प्रचंड लहर लखनऊ से सपा का एक मात्र विधायक मोहनलालगंज से जाता था। सपा के अंबरीष पुष्कर विधायक बनकर आये थे। सपा ने इस बार भी उन्हें उम्मीदवार ऐलान किया था। लेकिन, अचानक मलिहाबाद से टिकट बदले जाने के बाद पूर्व सांसद सुशीला सरोज को यहां से प्रत्याशी बना दिया गया है। जिसके बाद अंबरीष पुष्कर अब बगावत पर उतर आये हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर अंबरीष पुष्कर अपना नामांकन वापस नहीं लेते हैं, तो सपा को यहां भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमरीश की अपनी छवि इलाके में काफी ठीक हैं। जबकि सुशीला सरोज यहां से सांसद रही हैं लेकिन अपना चुनाव उनको हारना पड़ा था।
बीकेटी में यादव वोट में हो सकता बंटवारा
बख्शी का तालाब विधानसभा सीट पर सपा दो दिग्गजों सामने – सामने आ गए हैं। एक सपा से लड़ रहा तो दूसरा निर्दल हो गया है। दोनों ही यादव है और इलाके में ठोक पकड़ रखते हैं। यहां से सपा ने पूर्व विधायक गोमती यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। गोमती यादव के नाम पर मुहर लगते ही बगावत के सुर सामने आ गए हैं। हालांकि दावा किया जा रहा है कि राजेंद्र यादव अभी भी सपा से ही नामांकन कर रहे हैं।