उत्तर प्रदेशराज्य

कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज दी जा सकती है ?

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :कोरोना वायरस के नित नए-नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं। इससे मौजूदा वैक्सीन को भी लगभग सभी देश मोडिफाई कर बूस्टर डोज तैयार करने में जुटे हैं। देश में भी वैक्सीन के असर का अध्ययन किया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वैक्सीन की बूस्टर डोज यानि तीसरी डोज देने की जरूरत पड़ेगी या नहीं। इस स्टडी में अभी करीब छह से 10 माह तक का समय लग सकता है।

           वैक्सीन के बाद एंटीबाडी बनने और उसकी स्थिरता अवधि का किया जा रहा अध्ययन।

मसलन वैक्सीन की दोनों डोज या सि‍ंगल डोज लेकर संक्रमित होने वालों और पाजिटिव नहीं होने वाले सभी लोगों का ब्यौरा देशभर में जुटाया जा रहा है। देश में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की जरूरत पड़ सकती है। कुछ विशेषज्ञ इसे खारिज कर रहे हैं। अब इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों में एंटीबाडी का अध्ययन करा रहा है।

लोहिया संस्थान में कोविड प्रभारी डा. पीके दास कहते हैं कि भविष्य में बूस्टर डोज की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। किसी भी वैक्सीन से बनी एंटीबाडी हमेशा के लिए नहीं होती। यह अध्ययन किया जाना जरूरी है कि इसकी जरूरत पड़ेगी या नहीं। वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों में हर हफ्ते एंटीबाडी का टेस्ट कराया जाता है। इससे यह पता चल जाता है कि एंटीबाडी का स्तर किस समयावधि तक स्थिर है या किस समयावधि के बाद गिर रहा है। उसके बाद ही यह तय हो पाता है कि बूस्टर डोज लगनी चाहिए या नहीं।

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