ई-कचरे से कम हो रहा भूजल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :ई-कचरा भूजल को रोक रहा। ई कचरे को समय रहते रोका नहीं गया तो भूजल न की स्थिति चिंताजनक हो जाएगी अंधाधुंध जल दोहन के कारण पहले से ही भूजल में कमी होती जा रही है। मोबाइल ,कंप्यूटर, सीडी जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानो को खराब होने के बाद कूड़े के रूप में इधर-उधर फेंक दिया जाता है जो धीरे-धीरे जमीन की एक परत के रूप में तैयार हो रहा है। यह मिट्टी में घुलता नही है। बारिश का पानी जमीन में जाने से रोकने का काम कर रहा है। बाबा साहब भीमराव आबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी द्वारा किए गए शोध में ऐसे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। शोधकर्ता का दावा है यदि इसे रोका न गया तो आने वाले कुछ वर्षों में पर्यावरण के लिए ई- कचरा खतरनाक साबित होगा। इसकी वजह से पर्यावरण में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।ऑक्सीजन की मात्रा भी इससे प्रभावित होगी।
“ई- कचरा प्रबंधन: एक समलोचनात्मक विधिक अध्ययन” विषय पर शोधकर्ता विवि के विधि विभाग का शोधार्थी है। शोधार्थी अनिल कुमार, ने विधि विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ.अनीस अहमद के मार्गदर्शन में शोध किया।
विश्व में लगभग 53.6 मिलियन टन प्रति वर्ष ई-कचरा का उत्पादन होता है, जबकि भारत में 3.2 मिलियन टन प्रति वर्ष ई-कचरे के उत्पादन के साथ विश्व में तीसरा स्थान है। यदि समय रहते ई-कचरा का उचित प्रबंधन एवं विनियमन नहीं किया गया तो इसका मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पडे़गा। ई-कचरा के उचित प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1989 से निरंतर प्रयास किया जा रहा है, जबकि भारत में ई-कचरा की समस्या को पहली बार 2006 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत ई-कचरा (प्रबंधन एवं विनियमन) नियम बनाया गया। पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस नियम को कई बार संशोधन कर वर्तमान में ई-कचरा (प्रबंधन एवं विनियमन) नियम, 2016 लागू है।
शोध में दिए गए सुझाव
- खतरनाक ई-कचरे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
- “विस्तारित निर्माता” को जिम्मेदारी दिया जाना चाहिए।
- कड़े स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों और पर्यावरण संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
- ई-कचरे के नए रूपों के प्रसंस्करण के लिए नवीन विधियों और प्रौद्योगिकियों का विकास करना
- ई-अपशिष्ट नियमों के अनुपालन की निगरानी
- आम जनता की लोकनीति में भागीदारी एव ई- कचरा के संबंधित विधिक जागरूकता को उत्पन्न किया जाना चाहिए।
- उत्पादकों को ई- कचरा को पुनः वापस लेने की वयवस्था करना।
- दीर्घायु, उन्नयन, मरम्मत और पुन: उपयोग के लिए डिजाइन तैयार किया जाना चाहिए।
- पर्यावरण के अनुकूल पुनर्चक्रण की स्थापना की जानी चाहिए।