पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रहे बुजुर्ग दंपति
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :एक ओर जहां बुजुर्ग खुद के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहते हैं वहीं, कुछ ऐसे भी हैं प्रकृति को संवारने में ही अपनी जिंदगी का मकसद समझते हैं। लखनऊ के राजेंद्र नगर में रहने वाले वृद्ध दंपति एसके सिद्धार्थ और उनकी पत्नी कृष्णा के बारे में हम आपको बताते हैं जिन्होंने घर में जगह का रोना रोने वालों को सीख देकर गलियारे से लेकर कमरे और छत तक बागवानी कर प्रकृति को संवारने का छोटा सा प्रयास किया है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब लोगों को ऑक्सीजन के महत्व के बारे में पता चला तो उन्हें प्रकृति के स्वरूप का अंदाजा भले ही हुआ हो लेकिन इनकी बगिया में आक्सीजन देने वाले पेड़-पौधों की भरमार है। सिद्धार्थ पेशे से आर्टिस्ट हैं। उन्हें वर्ष 1991 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यनारायण रेड्डी गन्ना संस्थान में सम्मानित भी कर चुके हैं।
एसके सिद्धार्थ और उनकी पत्नी दोनों बहुत ही प्यार से रहते हैं। सुबह आंख खुलते ही सिद्धार्थ की पत्नी कृष्णा चाय बनाने किचन में चली जाती हैं और वह गलियारे से लेकर अपने छत के पौधों की देखरेख। पौधों में पानी डालना उनकी गुड़ाई करना और साफ सफाई करना।
इस बीच पत्नी चाय लेकर पहुंचती हैं। चाय पीने के दौरान ही कृष्णा पौधों के गमलों में पड़ी पत्तियां साफ करती हैं। पेड़ों को गर्मी और धूप से बचाने के लिए छत पर चारो ओर लोगे के एंगल लगाकर उस पर गार्डेन मैट डाल रखी है।