उत्तर प्रदेशराज्य

एआइ ट्री से बन सकेंगे आक्सीजन

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:प्रदूषण और कोरोना महामारी के बीच सांसों के लिए शुद्ध हवा यानी आक्सीजन की आवश्यकता की पूर्ति के नये तरीके खोजे जा रहे हैं। सरकारें आक्सीजन प्लांट लगवा रही हैं और कंपनियां आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाकर लोगों को सुविधा दे रही हैं। अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बीएचयू के छात्र ने प्रकृति और तकनीक के समावेश से ऐसा उपकरण बनाया है जो घर व दफ्तर में आसानी से आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ट्री यानी एआइ ट्री नामक यह आविष्कार नवप्रवर्तक साहिल अली सलमानी ने तैयार किया है। 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ट्री यानी एआइ ट्री नामक यह आविष्कार नवप्रवर्तक साहिल अली सलमानी ने तैयार किया है। उत्तर प्रदेश में खीरी के फूलबेहड़ ब्लाक के ग्राम ढखवा निवासी साहिल के बनाए उपकरण को तकनीक के बड़े मंचों पर सराहा गया है। अब वह इसे बड़े स्तर पर इसे तैयार कर रहे हैं ताकि इसका उपयोग फैक्ट्री व अन्य स्थानों पर किया जा सके, जहां पर यह उपकरण कार्बन डाइआक्साइड को आक्सीजन में परिवर्तित करेगा।साहिल का बनाया एआइ ट्री हवा, पानी और सूर्य के प्रकाश से चलता है। प्रतिदिन इससे 128 किलोग्राम आक्सीजन उत्पन्न होती है। यह उपकरण आकार में काफी छोटा है जिसे आसानी से घर और कार्यालय में रखा जा सकता है। इसेतैयार करने में सलमानी के साथी अमन सिंह और आइआइटी बीएचयू के इनक्यूबेशन सेंटर का योगदान रहा है। यह उपकरण वायुमंडल से कार्बन डाइ आक्साइड को खींचता है और आक्सीजन में बदलता है। वायुमंडल में बढ़ते कार्बन से पूरा विश्व संकट में है, जिससे निपटने के लिए यह उपकरण कारगर साबित होगा। साहिल अली सलमानी के पिता किसान हैं। 

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