उत्तर प्रदेशराज्य

अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर भी फुल

स्वतंत्रेश.लखनऊ:कोरोना संक्रमण की रफ्तार लखनऊ में लगातार बढ़ती ही जा रही है। यही वजह है कि विभिन्न डेडीकेटेड कोविड अस्पताल कोरोना मरीजों से फुल हो चुके हैं। बेड व वेंटिलेटर के लिए अस्पतालों में अभी से हाहाकार की स्थिति बन गई है। कोरोना पॉजिटिव होने वाले मरीज भर्ती के लिए सुबह से लेकर देर शाम तक कंट्रोल रूम को फोन कर करके थक रहे हैं। बावजूद बहुत से मरीज अस्पतालों में भर्ती नहीं हो पा रहे। लिहाजा उन्हें घर पर ही होम आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है। शनिवार को दर्जनों मरीज बेड और वेंटीलेटर के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर काटते रहे। कड़ी मशक्कत के बाद इनमें से कुछ ही लोगों को बेड मिल सका। बाकी मरीज अभी भी घर पर रहकर कंट्रोल रूम की घंटी बजने का इंतजार कर रहे हैं।

भर्ती होने के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे मरीज। शनिवार को दर्जनों मरीज बेड और वेंटीलेटर के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर काटते रहे।

निजी अस्पतालों में भर्ती के लिए अप्रूवल जरूरी: अगर कोई कोरोना मरीज निजी अस्पताल में भर्ती होना चाहता है तो इसके लिए सीएमओ कार्यालय से अप्रूवल जरूरी है। कोई अपनी मर्जी से किसी भी निजी अस्पताल में न तो इलाज करवा सकता है और न ही निजी अस्पताल ऐसे मरीजों को अपने यहां बगैर आधिकारिक अनुमति के भर्ती कर सकते हैं। होम आइसोलेशन के प्रभारी व एसीएमओ डॉक्टर के पी त्रिपाठी ने बताया कि निजी अस्पतालों में भर्ती होने के लिए सीएमओ की अनुमति जरूरी है। बेड खाली होने पर ही मरीज को उसकी च्वाइस की अस्पताल मिल सकती है। अगर किसी अस्पताल में मरीज इलाज के दौरान संक्रमित होता है और वह अस्पताल डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल है तो उस मरीज को अस्पताल अपने यहां सीधे भर्ती कर सकता है। मगर इसकी सूचना पीएमओ कार्यालय को देना जरूरी होगा।

कई मरीजों को एसीएमओ ने कराया भर्ती: कई मरीज गंभीर होने के बाद बेड व वेंटिलेटर नहीं होने से भर्ती नहीं हो पा रहे थे, उन्होंने एसीएमओ डॉ केपी त्रिपाठी से संपर्क साधा। इसके बाद उन्होंने उन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाया।

सभी प्रमुख अस्पतालों के आइसीयू व कोरोना वार्ड फुल : पिछले दो दिनों से 24 घंटे में संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 900 से भी ऊपर रह रही है। यही वजह है की डेडीकेटेड 15 कोविड-19 अस्पताल अभी से मरीजों से फुल हो चुके हैं। केजीएमयू से लेकर लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआइ, लोकबंधु समेत मेदांता, इंटीग्रल जैसे निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के लिए बेड खाली नहीं हैं। वेंटीलेटर व आइसीयू के लिए तो और भी ज्यादा मारामारी है। ऐसे में अब मरीज गंभीर मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो गया है।

 

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