मोबाइल टावर हटाने की याचिका खारिज
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ ख्ंडपीठ ने रिहायशी इलाके में मोबाइल टावर लगाए जाने के खिलाफ दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पूर्व में पारित एक आदेश के आधार पर मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर की दलील को स्वीकार नहीं किया। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने एएम दत्त की याचिका पर पारित किया।
याची का कहना था कि उसके प्लॉट के बगल में लगे मोबाइल टावर और फोरजी बेस ट्रांसमिटिंग स्टेशन को हटाया जाए। यह भी मांग थी कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से होने वाले दुष्प्रभावों के बाबत टेलीकॉम विभाग को रिपोर्ट प्रकाशित करने का आदेश दिया जाए। कोर्ट ने पूर्व में आशा मिश्रा केस में दिये गए आदेश को उल्लिखित करते हुए याची की दलीलों को अस्वीकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित उक्त आदेश में कहा गया था ऐसा कोई प्रामाणिक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है, जिससे मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से होने वाले नुकसान का प्रमाण मिल सके।
मुख्तार अंसारी की रिट याचिका पर सुनवायी 17 को
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी के जियामऊ इलाके में शत्रु संपति को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर हथिया कर उस पर अवैध निर्माण करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद किए जाने व बाहुबली मुख्तार अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी तक टाल दी है । यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने मुख्तार अंसारी की याचिका पर पारित किया। उनके एचजीएस परिहार ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि कुछ अपरिहार्य कारणों से वह बहस करने में असमर्थ हैं लिहाजा यह याचिका मुख्तार के बेटों की ओर से दाखिल एक अन्य याचिका के साथ 17 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया जाये। इस पर महाधिवक्ता को कोई एतराज नहीं था, जिसके चलते कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। मुख्तार के बेटों अब्बास अंसारी व उमर अंसारी की पूर्व में दाखिल याचिका पर भी 17 फरवरी को सुनवाई होनी है। कोर्ट ने दोनों की गिरफतारी पर 21 अक्टूबर 2020 को रोक लगा दी थी।