आधुनिक कार्बाइन बना रही एसएएफ
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :शहर में बनने वाले हथियार सेना की ताकत को बढ़ाने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत की कहानी भी लिख रहे हैं। पैरामिलिट्री फोर्स, गृह मंत्रालय व राज्य पुलिस समेत अन्य विभागों के लिए स्माल आम्र्स फैक्ट्री (एसएएफ) में ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी-5.56 गुणा 30 एमएम) बन रही है।
जेवीपीसी हल्की होने के कारण पैरामिलिट्री फोर्स में आकर्षण का केंद्र है। अभी जवान पांच से आठ किलोग्राम तक के हथियार उठाकर सुरक्षा में तैनात रहते हैं। आधुनिक कार्बाइन तीन किलोग्राम से भी कम के वजन की होने के कारण जवानों के लिए बेहतर साबित होगी। एसएएफ से सीआरपीएफ ने भविष्य में 35 हजार कार्बाइन लेने की इच्छा जताई है।
चार चरणों के कड़े टेस्ट से गुजरी
जेवीपीसी का शुरुआती परीक्षण सेना ने किया। इसके बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पुणे व स्माल आर्म्स फैक्ट्री के इंजीनियरों ने कड़ी जांच करके निर्माण को हरी झंडी दी
मेक इन इंडिया कार्बाइन विदेशी हथियारों पर पड़ेगी भारी
जेवीपीसी का अनुमानित मूल्य एक लाख रुपये होगा। अधिक संख्या में बनने पर मूल्य इससे भी कम हो सकता है। विदेश में बनने वाली किसी भी कार्बाइन का दाम एक लाख से अधिक ही होता है।
ये है खासियत
– किसी भी प्रकार के बुलेट प्रूफ को भेदने में ये सक्षम है।
– गोलियों की बेल्ट लगा दी जाए तो एक मिनट में यह आठ सौ गोलियां निकाल सकती है, क्योंकि इसमें ऐसा स्प्रिंग मैकेनिज्म सिस्टम लगाया गया है। वैसे, 30 राउंड मैगजीन लगाई जाती है।
– यह अभी तक की सबसे अधिक गोलियां दागने वाली कार्बाइन है।
– गैस ऑपरेटेड कार्बाइन की बैरल फायर के बाद भी काली नहीं पड़ती है।