उत्तर प्रदेशराज्य

बावड़ी के अंदर पत्थरों से बनी संरचनाएं मिलीं

स्वतंत्रदेश ,लखनऊसंभल के चंदौसी में दशकों से मिट्टी और कचरे में दबी लक्ष्मणगंज स्थित राजा की बावड़ी का दूसरा तल मंगलवार को सामने आ गया है। एएसआई की तीन सदस्यीय टीम और नगर पालिका के सहयोग से दर्जनों मजदूर बावड़ी की खोदाई में जुटे हैं। बावड़ी के भीतर पत्थरों से बनी संरचनाएं, सुरंगनुमा रास्ते और दर्जनों सीढ़ियां दिखाई देने लगी हैं। बावड़ी के कुएं और गलियारों की पूरी संरचना को साफ करने का कार्य जारी है। उधर, शंखनाद के बाद से पुलिस व पीएसी का पहरा सख्त हो गया है। पुलिस ने बाहरी लोगों के बावड़ी परिसर में प्रवेश पर अंकुश लगा दिया है।दसवें दिन सोमवार को नगर पालिका परिषद की सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रियंका सिंह टीम के साथ बावड़ी स्थल पर पहुंचीं और मजदूरों की टीम बना कर खोदाई शुरू कराई। एक टीम कुएं की तलाश में खोदाई में जुट गई तो दूसरी टीम गलियारों से मिट्टी निकालने में लग गई। बावड़ी तीन मंजिल की बताई जा रही है। इसी बीच बावड़ी में दोनों गलियारों के बीच उतर रही सीढ़ी में 19 पैड़ी के बाद दूसरी मंजिल का गेट नजर आने लगा। वहीं जहां कुआं होने का अनुमान है, वहां की खोदाई के दौरान यहां कुएं के चारों ओर के गेट पूरे दिखाई देने लगे हैं। सीढि़यों के सामने कुएं वाली जगह का गेट भी आर पार खुल गया है।

पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग
राजा चंद्र विजय सिंह की ओर से उनके प्रतिनिधि कौशल किशोर वंदेमातरम् ने सोमवार को डीएम राजेंद्र पैंसिया को प्रार्थना पत्र सौंपा। जिसमें प्राचीन बावड़ी को पुरातत्व विभाग अथवा पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग की है। जिससे नगरवासियों को एक धरोहर के रुप में पर्यटन मिल सके।  डीएम को सौंपे प्रार्थना पत्र में राजा चंद्र विजय सिंह का कहना है कि चंदौसी में मिली प्राचीन बावड़ी एक अनोखी धरोहर है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बावड़ी निर्माण की कम प्रथा थी। पुराने भूलेखों का अवलोकन करने से स्पष्ट हो जाएगा कि इस बावड़ी एवं उसके इर्द-गिर्द की संपत्तियां रियासत सहसपुर बिलारी की थीं। कई वर्षों से अवैध रुप से भूमाफिया एवं असामाजिक तत्व के कुछ लोग इस संपत्ति को बेच रहे थे। ऐतिहासिक बावड़ी को इस दृष्टि से मलबे से पाट दिया। सहसपुर बिलारी रियासत का एक मात्र वारिस वह और उनकी बहन हैं। मंशा है कि इस बावड़ी भविष्य के लिए सुरक्षित रहे और चंदौसी वासियों के लिए यहां पर एक पर्यटन स्थान बने।

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