उत्तर प्रदेशराज्य

जांच के दायरे में 2941 निजीआइटीआई

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :आइटीआइ में प्रवेश लेकर शुल्क प्रतिपूर्ति लेने वाले ऐसे विद्यार्थियों की खैर नहीं जिसने परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया है। समाज कल्याण विभाग की ओर से चल रही शुल्क् प्रतिपूर्ति घोटाले की जांच में ऐसे कई मामले प्रकाश मेें आए हैं। समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली शुल्क प्रतिपूर्ति में हुए घोटाले में इस नए अध्याय से संस्थानों के संचालकों में हड़कंप मच गया है। मामले की सही जानकारी के लिए अब एक नई जांच समिति बनाकर जांच के आदेश दिए गए हैं। सूबे की सभी 2941 निजी आइटीआइ की जांच होगी।

जिले की सभी संस्थानों की जांच के लिए जिलाधिकारियों की ओर से तहसील के उपजिलाधिकारी नामित किए गए हैं जो संस्थानों दस्तावेजों की की जांच करेंगे।

 

जिले की सभी संस्थानों की जांच के लिए जिलाधिकारियों की ओर से तहसील के उपजिलाधिकारी नामित किए गए हैं जो संस्थानों दस्तावेजों की की जांच करेंगे। सभी संस्थान अपने जांचकर्ता अधिकारी से संपर्क करेंगे। इसके अलावा केवल उन्ही संस्थानों के छात्रों को इस वर्ष छात्रवृति योजना का लाभ मिलेगा जिनकी सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त होगी।

होगी शुल्क प्रतिपूर्ति की वसूूली

शुल्क प्रतिपूर्ति या छात्रवृत्ति लेने वाल ऐसे विद्यार्थी जो परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं उनसे शुल्क प्रतिपूर्ति की वसूली की जाएगी। हालांकि प्राथमिक जांच में निजी आइटीआइ संस्थाओं ने फर्जी अभिलेखों से छात्र-छात्राओं का ब्योरा तैयार किया। अपने पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या कई गुना बढ़ाकर दिखाई, परीक्षा फार्म भी फर्जी ब्योरे से भरवाए गए। परीक्षा में ऐसे अनुपस्थित रहे।

जांच में भी लापरवाही का आरोप

उत्तर प्रदेश समाज कल्याण सुपरवाइजर परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष श्रीश पांडेय का आरोप है कि छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की जांच नियमानुसार जिला स्तरीय अधिकारी और तहसील स्तरीय समाज कल्याण पर्यवेक्षक की टीम बनाकर नहीं की जा रही है।

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