फूलपुर के इफ्को प्लांट में अमोनिया गैस का रिसाव
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : प्रयागराज में फूलपुर स्थित इफ्को प्लांट में मंगलवार की रात अमोनिया गैस का रिसाव हो गया। सूचना पर इफ्को और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में प्लांट में फंसे कर्मचारियोें को बाहर निकाला गया। गैस रिसाव के कारण 15 अचेत कर्मियों को इफ्को के अस्पताल ले जाया गया। आठ की गंभीर हालत थी, इसलिए उन्हें शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान दो कर्मियों की मौत हो गई।
फूलपुर स्थित इफ्को प्लांट एशिया स्तर की यूरिया उत्पादन की फैक्ट्री है
फूलपुर में स्थित इफ्को प्लांट एशिया स्तर की यूरिया उत्पादन की फैक्ट्री है। प्लांट में उत्पादन के लिए दो संयंत्र हैं। एक पी-1 और दूसरा पी-2। दोनों संयंत्रों में कई शिफट में 24 घंटे कार्य होता है। जिस समय फूलपुर स्थित इफ्को प्लांट में अमोनिया गैस का रिसाव हुआ, उस समय वहां 100 से अधिक कर्मचारी काम में जुटे थे। गैस रिसाव की जानकारी होने पर इफ्को के वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे। तब तक सूचना मिली तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंच गए। तत्काल राहत कार्य शुरू किया गया। प्लांट में फंसे सभी कर्मचारियों को बाहर निकाला गया।
गैस रिसाव के कारण दम घुटने से 15 कर्मचारी अचेत हुए
गैस रिसाव के कारण दम घुटने से 15 कर्मचारी अचेत हो गए थे। तत्काल उन्हें इफ्को के अस्पताल में भर्ती कराया गया। आठ कर्मचारियों की हालत गंभीर देखकर डॉक्टरों ने उन्हें शहर के अस्पताल ले जाने की सलाह दी। तुरंत एंबुलेंस की मदद से उन सभी को शहर के दो निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान दो कर्मचारियों की मौत हो गई।
गैस हादसे में असिस्टेंट व डिप्टी मैनेजरों की हुई मौत
एसपी राम, राकेश कुमार, अभिनंदन और वीपी सिंह समेत आठ की हालत गंभीर देख शहर के दो निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया गया। डाक्टरों ने असिस्टेंट मैनेजर बीपी सिंह और डिप्टी मैनेजर अभिनंदन को मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर फूलपुर राजकिशोर ने बताया कि अमोनिया गैस की किसी पाइप लाइन में रिसाव हो गया था, जिस कारण 15 कर्मचारी चपेट में आ गए थे। इसमें से दो की मौत हो गई है।
इफ्को फूलपुर में गैस लीकेज पहले भी हो चुका है
इफ्को फूलपुर के प्लांट में मंगलवार को गैस लीकेज की पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी हादसा हो चुका है। पिछले दो वर्षों में यहां पांच बार यह हादसा हो चुका है। अक्सर चूक की वजह से हादसा होता रहा है। इसके पूर्व वर्ष 2019 में 25 जनवरी को गैस रिसाव हुआ था। इसमें तीन मजदूरों की मौत हुई थी। वहीं उसी वर्ष अप्रैल में भी इस हादसे में 12 लोग गंभीर हो गए थे।
मानो घना कोहरा छा गया हो
जिस समय इफ्को प्लांट में अमोनिया गैस का रिसाव हुआ, कर्मचारियों को कुछ समझ में ही नहीं आया। ऐसा लगा मानो घना कोहरा छा गया हो। जब एक के बाद एक कर्मचारी अचेत होने लगे तो माजरा समझ में आया। फिर चीख-पुकार मचने पर राहत कार्य शुरू हुआ।
…तो आसपास के गांव आ जाते चपेट में
यह तो संयोग ही था कि तत्काल अमोनिया गैस के रिसाव पर काबू पा लिया गया। प्लांट के समीप कई गांव भी स्थित हैं। अगर अमोनिया गैस फैलती तो ग्रामीण भी इसकी जद में आ सकते थे। तब हालत बेकाबू हो सकते थे। प्लांट के कर्मचारियों की सूझबूझ के कारण अमोनिया गैस का रिसाव नहीं बढ़ सका। क्योंकि उन्होंने तत्काल प्लांट को बंद कर दिया था।