नेशनल मैथ्स माटिक्स डे स्पेशल
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ :फिल्म, नाटक और धारावाहिक के संवाद भले ही याद नहीं रहें, लेकिन उनके सीन बखूबी दिमाग में याद रहते हैं। आइआइटी के पुरातन छात्रों व फैकल्टी ने इसी आधार पर स्कूली बच्चों को पढ़ाने की तकनीक तैयार कर दी है जो कई स्कूलों में सफल नतीजे भी दे रही। बच्चे गणित से डरने की जगह उसमें पारंगत हो रहे हैं।
रोटी केवल पेट की नहीं, गणितीय ज्ञान की भी भूख मिटा सकती है। वृत, अर्ध वृत, व्यास, त्रिज्या, क्षेत्रफल…, इनका सबका गणित रोटी में छिपा है। इसी तरह कपड़ा मीटर, सेंटीमीटर, इंच तो मकान एक्स, वाई और जेड एक्सिस बखूबी समझा सकता हैं। वजह यह कि सुनने की अपेक्षा देखकर कुछ भी समझना आसान रहता है। इसी आधार पर आइआइटी के पुरातन छात्रों की तकनीक से स्कूलों में बच्चों को रोटी-पराठा, कपड़ा या मकान ही नहीं, खेत, झूला, चकला-बेलन, घर से स्कूल की दूरी, साइकिल की तीली के सहारे भी खेल-खेल में गणित सिखाई जा रही है।
इस तरह हुई दिवस की शुरुआत
राष्ट्रीय गणित दिवस की शुरुआत महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस पर देश में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। देश के 14वें और तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 26 फरवरी 2012 को मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (22 दिसंबर 1887- 26 अप्रैल 1920) के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ केे उद्घाटन समारोह राष्ट्रीय गणित दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी।