केजरी के बाद ओवैसी की योगी के गढ़ में एंट्री
स्वतंत्रदेश , लखनऊ :UP में 2022 का विधान सभा चुनाव दिलचस्प होने वाला है। कल ही आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर UP की राजनीति में एंट्री मारी है। इसके 24 घंटे के बाद ही AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लखनऊ पहुंचकर एक होटल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष व पूर्व में योगी सरकार के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की है। इसके अलावा ओवैसी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल यादव से भी मिल सकते हैं। यह माना जा रहा है कि ओवैसी का यह दौरा UP की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।
भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ मिलकर लड़ेंगे
सुहेलदेव समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 2022 चुनाव में हमारा 8 दिनों का भागीदारी संकल्प मोर्चा है। जिसमें हम संयुक्त मोर्चे के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसी मोर्चे में ओवैसी भी शामिल हुए हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चे में राष्ट्रीय अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना दल कृष्णा पटेल, भारत माता पार्टी रामसागर बिंद, राष्ट्र उदय पार्टी बाबू रामपाल, राष्ट्रीय भागीदारी पार्टी (पी) प्रेमचंद प्रजापति भारतीय वंचित समाज पार्टी रामकरण कश्यप और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी संकल्प मोर्चे में शामिल हुई है।
बिहार जीत के बाद UP में संभावना तलाश रहे ओवैसी
साल 2017 में उत्तर प्रदेश की 34 सीट पर ओवैसी ने अपना प्रत्याशी उतारा था। लेकिन हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद AIMIM के हौसले बुलंद हैं। असदुद्दीन ओवैसी अब UP की सियासी पिच पर उतरकर किस्मत आजमाने की कवायद में हैं।
दो दलों के प्रमुख की शिष्टाचार भेंट के निकाले जा रहे हैं कई मायने
असदुद्दीन ओवैसी लखनऊ के आलमबाग स्थित एक निजी होटल में शिरकत करने आए हैं। दो दल सुभासपा और प्रसपा के प्रमुखों से मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। बसपा से भी गठबंधन की चर्चा है। उत्तर प्रदेश में ओवैसी दलित-मुस्लिम कार्ड के जरिए विधानसभा चुनाव में बड़ा खेल कर सकते हैं।
ओवैसी के साथ यूपी में दलित-मुस्लिम कार्ड खेल सकती हैं मायावती
वरिष्ठ पत्रकार नावेद शिकोह ने कहा, ” सियासी गलियारों में चर्चा है कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव मेंं ओवैसी के साथ बसपा का गठबंधन दलित-मुस्लिम कार्ड खेलकर विरोधियों को चुनौती दे सकता है। फिलहाल यूपी में भाजपा के साथ मायावती के सॉफ्ट रिश्ते हैं और बिहार में वो ओवैसी के साथ गठबंधन धर्म निभा कर AIMIM को पांच सीटें दिलवाने में मददगार साबित हुईं हैं। ये तय है कि भाजपा फिलहाल इतनी मोहताज है कि वो बसपा से दोस्ती की मोहताज नहीं।