उत्तर प्रदेशजीवनशैली

जेईई मेन्स परीक्षा में गूगल मैप से कोई ई- रिक्शा बुक करा कर पंहुचा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को आईआईटी समेत अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए जेईई मेन्स की परीक्षा का आगाज़ हो गया। एक सितम्बर से छह सितम्बर तक चलने वाली परीक्षा के पहली पाली के एग्जाम के लिए छात्र-अभिवावक पूरी तैयारी के साथ पहुंचे। शहर के हजरतगंज चौराहे से रायबरेली की तरफ जा रहे हाइवे पर करीब 25 किलोमीटर जाने पर वहां बने ब्रिज के बगल से एक रास्ता कानपुर-सुल्तानपुर जा रहे पुल के नीचे से मुड़ता है। वहां से बिजनौर सीआरपीएफ कैम्प का ऑफिस लगभग 18 किलोमीटर दूर है। सीआरपीएफ कैम्प के पीछे के बॉउंड्री से जुड़ी सड़क पर जेईई मेन की परीक्षा का केंद्र बनाया गया था। कोरोना संकटकाल के बीच जहां परीक्षार्थियों को अपना एग्जाम देना था वहीं उनके अभिभावकों के सामने चुनौती अपने बच्चों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की थी।

सीआरपीएफ सेंटर के पास बने परीक्षा केंद्र के बाहर अचानक एक कार आकर रुकती है। कार में ड्राविंग सीट पर अदिति के माता-पिता बैठे थे। कार रुकने के बाद जैसे ही वह बाहर निकलती है, वह अपने अभिभावकों से कहती है कि सेंटर तो बहुत दूर कर दिया। तब तक उसके पिता भी बाहर आ जाते हैं जिनके हाथों में ग्लब्स और सैनिटाइजर की बोतल दिख रही थी। उसे अपनी बेटी को सौंपते हुए कहते हैं कि आराम से जाना अभी परीक्षा में बहुत टाइम बचा है। उसी सएम एक ऑटो रिक्शा वहीं आकर रुका जिसमें करीब 55 साल के एक शख्स ने वहां खड़े व्यक्ति से पूछा आजाद इंस्टीट्यृट किधर है। तभी किसी ने जवाब दिया चिंता मत करिए आप सही जगह पहुंच गए हैं। ऐसा ही नजारा परीक्षा केंद्र का था।

9 बजे शुरू हुई परीक्षा 12 बजे हुई खत्म, सड़क किनारे छांव तलाशते रहे अभिभावक
260 परीक्षार्थी में 131 ही परीक्षा देने पहुंचे थे। परीक्षा शुरू होने के बाद परीक्षार्थियों के अभिभावकों का चेहरा सकून दिख रहा था। कुछ लोग एक दूसरे से बातचीत करना शुरू कर दिया। वहीं कुछ लोग राजनीति के गप्प लड़ाते हुए बार-बार घड़ी देख रहे थे। कोई अपने स्कूटर से नहीं उतरा तो कोई पेड़ की छांव से नहीं उठना चाहता था। सब बस 12 बजने का इंतज़ार कर रहे थे। सबको अपने बच्चों के पेपर देने के बाहर आने का इंतज़ार था। जैसे ही 12 बजे वैसे ही हलचल होने लगी। एक-एक करके बच्चे गेट खुलने के बाद निकलने लगे

गूगल मैप्स से पहुंचा सेंटर, मजबूरन बाइक से आना पड़ा...
महराजगंज रायबरेली के रहने अभिभावक अमित जायसवाल बहन को पेपर दिलाने आए थे। पेपर से बच्चे को डर नहीं लग रहा है। बढ़ते हुए कोरोना के प्रकोप से डर लगने लगा है। अमित जायसवाल ने बताया कि ग्रामीण इलाके में सेंटर था। गुगल मैप्स से तलाशते हुए यहां तक पहुंच गए। करीब मेरे गांव से 95 किलोमीटर सेंटर दूर है। मजबूरन बाइक से आना पड़ा। बस में सफर करते समय कोरोना का खतरा दिल में बना हुआ था। यह भी शंका मन में थी कि कैसी व्यवस्था और इंतज़ाम होंगे।

Related Articles

Back to top button