एआई की मदद से कई शहरों को स्मार्ट बनाएगा आईआईटी
स्वतंत्रदेश लखनऊजिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका एआई अब शहरों को भी स्मार्ट बनाने में मदद करेगा। आईआईटी इसकी सहायता से कानपुर समेत कई शहरों की दशा सुधारने के साथ चुनौतियों का समाधान करेगा। इसके लिए संस्थान में एआई इन सस्टेनेबल सिटी उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है। इसमें एनर्जी, अर्बन मोबिलिटी, मॉनिटरिंग और ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में काम होगा। आने वाले कुछ सालों के भीतर शहरों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय मेक एआई इन इंडिया, मेक एआई वर्क फॉर इंडिया के तहत एआई इन हेल्थ, एआई इन एग्रीकल्चर और एआई इन सस्टेनेबल सिटी पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित कर रहा है। एआई इन सस्टेनेबल सिटी की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को मिली है। आईआईटी में स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी इसके प्रोजेक्ट डाइरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के साथ आईआईएससी बंगलूरू, आईआईटी गांधीनगर, हैदराबाद, कालीकट एकेडमिक पार्टनर के रूप में शामिल हैं।
ऐसे होगा काम
एनर्जी : इसके तहत चार बिंदुओं पर कार्य किया जाएगा। सीएनजी, पीएनजी की मांग व आपूर्ति पर काम होगा। अहमदाबाद के डाटा पर एआई मॉडल विकसित किया जा रहा है। कोशिश होगी कि मांग का पहले से ही पूर्वानुमान किया जाए, जिससे सप्लाई में बाधा न आए। लॉजिस्टिक, इलेक्ट्रिक सप्लाई और फॉल्ट डिटेक्शन मॉडल भी तैयार किया जाएगा।
मॉनिटरिंग : इसमें वायु गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे पर काम हो रहा है। वायु गुणवत्ता के लिए डाटा निकालना सबसे बड़ी समस्या है, इसके लिए स्वदेशी सेंसर तैयार किए जा रहे हैं। इससे हवा खराब होने का कारण और स्रोत का पता चल सकेगा। इसके अलावा हाई रेजोल्यूशन कैमरों के साथ ड्रोन तैयार हो रहे हैं जो आधारभूत संरचना में आ रही दरारों की जानकारी देंगे।अर्बन मोबिलिटी : इसमें रियल टाइम ट्रैफिक अपडेट के साथ मेट्रो या अन्य वाहनों का समय पता चलेगा। इसके अलावा शहर में कहीं वीवीआईपी मूवमेंट हो रहा है, उसकी जानकारी भी मिलेगी, ताकि लोगों को जाम में न फंसना पड़े। पुणे में एप तैयार किया गया है, जिसका दो लाख लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उनको रियल टाइम अपडेट मिलती है।
ई-गवर्नेंस : इसकी मदद से ऑनलाइन शिकायत स्वत: ही संबंधित विभाग के पास चली जाएगी। इससे लोगों को निस्तारण के लिए इधर उधर भटकना नहीं होगा। कई बार होता है कि एक शिकायत दो विभागों के बीच ही झूलती रहती है। इससे निजात मिलेगी।