सरकार ने आशा वर्करों को दिया नए साल का तोहफा
स्वतंत्रदेश, लखनऊप्रदेश में सर्पदंश से होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए राज्य सरकार नई पहल करने जा रही है। इसके अंतर्गत सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल पहुंचाने वाली आशा कार्यकर्ता को 1500 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का इरादा है। राज्य आपदा न्यूनीकरण समिति की अप्रेजल कमेटी ने राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। तीन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में संचालित किए जा रहे सर्पदंश सुरक्षा कार्यक्रम को शेष 72 जिलों में विस्तार देने का निर्णय किया गया है। प्रदेश सरकार ने सर्पदंश से होने वाली मौतों को राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल किया है। अधिसूचित आपदाओं में से दूसरी सर्वाधिक जनहानि का कारण सर्पदंश है। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में सांपों के काटने से 3000 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। सर्पदंश से बड़ी संख्या में होने वाली मौतों की बड़ी वजह यह है कि सांप के काटने की घटनाएं प्राय: सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में होती हैं।
सर्पदंश का शिकार हुए लोग भी प्राय: गरीब और अशिक्षित होते हैं। किसी व्यक्ति को सांप के काटने पर लोग उसे लेकर पहले ओझा और संपेरों के पास जाते हैं, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं। समय पर सर्प विषरोधी इंजेक्शन न लगने पर सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है। विभाग ने तय किया है कि सर्पदंश का शिकार हुए व्यक्ति को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल पहुंचाने वाली आशा कार्यकर्ता को 1500 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। कई बार ऐसी परिस्थितियों में आशा कार्यकर्ता का उपलब्ध हो पाना मुश्किल होता है। इसलिए राजस्व विभाग इसके व्यावहारिक विकल्प पर भी विचार कर रहा है।
इन जिलों में चलाया गया कार्यक्रम
सर्पदंश से होने वाली जनहानियों में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने इस आपदा से सर्वाधिक प्रभावित तीन जिलों-सोनभद्र, गाजीपुर और बाराबंकी में सर्पदंश सुरक्षा कार्यक्रम चलाया है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए कार्यक्रम को प्रदेश के बाकी जिलों में भी संचालित करने का निर्णय हुआ है।
उपलब्ध कराई जाएगी किट
आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि देने के अलावा इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में सर्पदंश प्राथमिक चिकित्सा किट उपलब्ध कराई जाएगी। सभी चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ, आशा कार्यकर्ताओं व ग्राम प्रधानों को इसके बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। ओझा और संपेरों के साथ ही लोगों को भी इस संबंध में जागरूक किया जाएगा।