यूपी में मार्च के महीने में सताएगी गर्मी
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मौसम में ग्लोबल वार्मिंग का भी प्रकोप देखने को मिल रहा है। जहां एक तरफ मौसम वैज्ञानिकों ने समय से पहले एयर जारी करते हुए गर्मी से बचाव के कारण बताए हैं। तो वही लखनऊ मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि मार्च के महीने में भी सामान्य से 4 से 5 डिग्री ज्यादा टेंपरेचर होने की पूरी संभावना है। फिलहाल बीते 24 घंटे में प्रयागराज 35.2 डिग्री सेल्सियस के साथ सबसे ज्यादा गर्म शहर रहा।
फरवरी में टूटा 122 साल का रिकॉर्ड
भारत का मौसमी चक्र सदियों से चला आया है। शीत ऋतु के बाद बसंत ऋतु आती है‚ लेकिन ग्लोबल वार्मिग के कारण मौसम के बदलाव ने ऋतुराज बसंत ऋतु पर खतरा मंडरा दिया है। तापमान में इतनी बढ़ोतरी हो गई है कि फरवरी का महीना मार्च के महीने की तरह लगने लगा। भारत में 1877 के बाद से इस साल फरवरी का महीना सबसे गर्म रहा और औसत अधिकतम तापमान 29.54 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने इसे ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से जोड़़ते हुए यह जानकारी दी थी।
मार्च का महीना औसतन गर्म रहेगा
लखनऊ मौसम विभाग के अधिकारी मोहम्मद दानिश बताते हैं कि इस बार मौसम में जरूर परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का भी असर दिखाई पड़ रहा है। फरवरी में जिस तरीके से तापमान में बढ़ोतरी सामान्य तौर से अधिक रही ऐसा ही मौसम मार्च में भी होने की संभावना है। मार्च में औसतन मौसम का टेंपरेचर 31.1 डिग्री सेल्सियस होता है लेकिन मौजूदा समय में ही टेंपरेचर 1.1 डिग्री से अधिक है। इसलिए यह अनुमान है कि मार्च के महीने में इस बार औसतन तापमान से अधिक तापमान होने की पूरी संभावना है। मार्च के सामान्य तापमान से करीब 3 से 4 डिग्री अधिक टेंपरेचर रिकॉर्ड किया जाएगा। मार्च में लू की संभावना कम है‚ लेकिन अप्रैल और मई में चरम मौसम स्थिति का अनुभव हो सकता है।
पारा बढ़ने की ये दो वजहें…मौसम
वैज्ञानिकों का मानना है कि मौजूदा समय में फरवरी के बाद मार्च में भी गुजरात और राजस्थान में एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन का बनना और आसमान का साफ रहना। इस वजह से पारा अचानक बढ़ गया। यह पहली वजह से थी। दूसरी वजह पर बात करें तो तटीय इलाकों में सी-ब्रीज की शुरुआत में देरी यानी समुद्र से आने वाली पश्चिमी हवाएं देर से शुरू हो पा रही है। पूर्वी हवाएं दोपहर तक चल रही हैं। सी-ब्रीज के से दोपहर बाद तटीय इलाकों का तापमान गिरता है।