सिस्टम का मिला साथ तो उठाने लगीं आवाज-राष्ट्रीय बालिका दिवस
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:राजधानी की बेटियां अपने खिलाफ होने वाले अपराध आवाज उठाने को आगे आने लगी हैं। खास ये कि सिस्टम ने भी खुद को उनकी मांग के हिसाब से ढालना शुरू कर दिया है। इसकी बानगी हैं 181 वन स्टॉप सेंटर में विगत एक वर्ष में दर्ज होने वाले छेड़छाड़, साइबर अपराध और घरेलू हिंसा के वे मामले, जिनमें लड़कियों ने खुद आगे बढ़कर मदद मांगी। सेंटर ने उनकी इस हिम्मत को भरोसे में बदला।
जनवरी 2023 में 18 साल की एक लड़की 181 वन स्टाप सेंटर पहुंचती है। उसने बताया कि बीते एक वर्ष से आशियाना में कुछ लड़के आते-जाते वक्त उसे परेशान करते हैं। डर के मारे उसने स्कूल जाना बंद कर दिया है। हद तो तब हो गई जब उन लड़कों ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया और पास ही एक सुनसान इलाके में आकर लेने को कहा। उनके गलत इरादों और बढ़ते दुस्साहस को देख लड़की ने सीधे वन स्टॉप सेंटर का रुख किया। सेंटर की टीम ने लड़कों को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मिले। फिर टीम की एक सदस्य को उस लड़की की सहेली बनाकर लड़कों के बताए इलाके में भेजा गया और लड़कों को पकड़ लिया गया। इनके परिवार से लिखित लिया गया और वार्निंग देकर लड़कों को छोड़ा गया। अब वह लड़की फिर से स्कूल जाने लगी है।
बेटियों के बढ़ते हौसले का प्रमाण
जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक के इन मामलों में लड़कियों ने खुद आगे आकर 181 वन स्टॉप सेंटर से मदद मांगी।
155 केस : घरेलू हिंसा
25 मामले : छेड़खानी
12 मामले : साइबर अपराध
(स्रोत : वन स्टॉप सेंटर का रिकॉर्ड)
बेटियों को देना होगा भरोसे का माहौल
181 वन स्टॉप सेंटर की सेंटर मैनेजर अर्चना सिंह कहती हैं, सामाजिक दबाव का डर बहुत ज्यादा है। इसीलिए महिलाएं व बच्चियां कुछ कहने से डरती हैं। हम उनकी गोपनीयता बनाए रखकर उनका भरोसा जीतने की कोशिश करते हैं। समाज के जिम्मेदार भी इस पहल में साथ आ जाएं तो विमेन फ्रेंडली सोसाइटी की परिकल्पना सच हो जाएगी।