राजधानी में घरों से उठ नहीं रहा कूड़ा, निगरानी को लगा रहे 3.81 करोड़ की डिवाइस
सड़क पर कूड़ा फेंकना मना है और घर-घर से कूड़ा उठ नहीं रहा है। इससे शहरवासी परेशान हैं। एक तरफ कूड़ा उठ नहीं रहा, वहीं कूड़ा उठान की निगरानी के लिए नगर निगम की ओर से घरों में डिवाइस लगाई जा रही हैं। चार हजार डिवाइस पर 3.81 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक निजी कंपनी को डिवाइस लगाने का काम दिया गया है।
कंपनी ने डिवाइस लगानी शुरू कर दी है, लेकिन यह सवाल हर किसी को चुभ रहा है कि जब डेढ़ दशक से घर-घर से कूड़ा लेने की योजना ही परवान नहीं चढ़ पाई तो डिवाइस पर रुपये क्यों बहाए जा रहे हैं। कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन कंपनी एक से डेढ़ लाख घरों से ही कूड़ा लेने का दावा कई साल से कर रही है, जबकि नगर निगम सीमा में लगभग 5.59 लाख भवन हैं।
कूड़ा उठान हो, तब हकीकत बताएगी डिवाइस
नियर फील्ड कम्युनिकेशन डिवाइस लगाने के लिए पहले चरण में मानसनगर कॉलोनी को चुना गया है। हर 15 घर के अंतर पर यह डिवाइस लगेगी। शहर में कुल चार हजार घरों का चयन किया गया। इस डिवाइस से पता चल जाएगा कि कूड़ा लेने कर्मचारी गया था या नहीं, जबकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि कूड़ा लेने वाली गाड़ी कभी नहीं आई तो डिवाइस हकीकत कैसे बता पाएगी। स्थानीय लोग डिवाइस लगाने का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले घरों से नियमित कूड़ा उठान की व्यवस्था हो, तभी डिवाइस लगाई जाए। उनका आरोप है कि, निजी कंपनी डिवाइस लगाकर भुगतान करा लेगी, फिर ये सफेद हाथी जैसी नजर आएंगी। पार्षद नीरज यादव का कहना है कि नियमित कूड़ा उठे तब डिवाइस का औचित्य है।
कंपनी भेज रही हर माह साढ़े तीन करोड़ का बिल
वर्ष 2018 से शहर में कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन नगर निगम की सीमा में शामिल 5.59 लाख घरों से कभी कूड़ा नहीं उठा पाई। एक से डेढ़ लाख घरों से कूड़ा उठाने का दावा करती है। नगर निगम कंपनी को घरों से कूड़ा उठाकर मोहान रोड स्थित शिवरी में बने निस्तारण प्लांट तक पहुंचाने का शुल्क 1604 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से देता है। परिवहन और निस्तारण करने का शुल्क 165 रुपये प्रति मीट्रिक टन अलग से है। यूजर चार्ज तीस लाख से 60 लाख के बीच ही सिमट जाता है, जबकि कंपनी हर माह करीब साढ़े तीन करोड़ का बिल निगम को भेजती है।