उत्तर प्रदेशराज्य

146 साल पुराना नियम बदलेगा

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :देश के एकमात्र एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स का 146 साल बाद अपना बाईलाज होगा। लखनऊ रेसकोर्स क्लब भी हैदराबाद और पुणे जैसे क्लबों की तरह स्टीवर्ड कमेटी के अधीन एक बाईलाज के साथ प्रबंधन करेगा। बाईलाज बनाने के लिए देश के मशहूर क्लबों के नियम मंगाए गए हैं। उनका अध्ययन एक कमेटी करेगी, जो अध्ययन के बाद लखनऊ रेसकोर्स क्लब के प्रस्तावित बाईलाज का ड्राफ्ट तैयार करेगी।

देश के एकमात्र एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स का 146 साल बाद अपना बाईलाज होगा। लखनऊ रेसकोर्स क्लब भी हैदराबाद और पुणे जैसे क्लबों की तरह स्टीवर्ड कमेटी के अधीन एक बाईलाज के साथ प्रबंधन करेगा।

लखनऊ रेसकोर्स क्लब की सालाना घुड़दौड़ से लेकर इसके रखरखाव का प्रबंधन अभी एक स्टीवर्ड कमेटी करती है। कमेटी में सेना के अधिकारी और शहर की प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल होती हैं। मध्य यूपी सब एरिया मुख्यालय के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लखनऊ रेसकोर्स क्लब के पदेन अध्यक्ष होते हैं, जिनके अधीन क्लब के सचिव की तैनाती की जाती है। सचिव ही कमेटी के आदेशों को लागू करते हैं। पिछले महीने स्टीवर्ड कमेटी की बैठक में लखनऊ रेसकोर्स क्लब के रखरखाव, घोड़ों की दौड़ से लेकर इससे जुड़े सभी कामों के लिए बाईलाज बनाने की सहमति बनी है। जीओसी मेजर जनरल राजीव शर्मा ने लखनऊ रेसकोर्स क्लब को भी देश के प्रतिष्ठित क्लबों की तरह नियम तय करने के आदेश दिए, जिसके बाद कमेटी ने उन क्लब के बाईलाज को मंगाया है।

वर्ष 1880 में हुई शुरुआत

लखनऊ रेसकोर्स क्लब में थारो और इंडियन ब्रीड के घोड़ों की दौड़ होती है। यहां बायीं ओर घोड़ों की दौड़ होती है। इसलिए इसे एंटी क्लॉक ट्रैक कहते हैं। थारो ब्रीड के घोड़ों की दौड़ 1600 मीटर और इंडियन ब्रीड के घोड़ों की दौड़ एक हजार मीटर के ट्रैक पर होती है। पहली बार इस क्लब में 1880 में घुड़दौड़ हुई थी।

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