नगर निगम लेगा हिसाब
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :धरती की गगरी का हिसाब फिर से लिया जाएगा। पता लगाया जाएगा कि कहां कितना पानी है और भूजल बचाने के लिए किन-किन संसाधनों का सहारा लिया जा सकता है? इसके लिए दस नगर निगमों से रिपोर्ट मांगी गई है, जो बताएगी, उनके यहां भूजल संसाधन की क्या स्थिति है? नगर निगम क्षेत्रों में भूजल का आकलन अब अलग से किया जाएगा।
28 फरवरी तक यह रिपोर्ट सभी नगर निगमों को शासन में भेजनी है, जिससे बारिश से पहले भूजल बचाने की दिशा में कार्ययोजना बन सके और तालाब से लेकर झील तक से गाद निकालकर वहां बारिश का पानी बचाया जा सके।
नगर निगमों को देनी होगी यह रिपोर्ट
- परिक्षेत्र का क्षेत्रफल
- परिक्षेत्र की सीमा
- जलापूर्ति के आंकड़े
- भूजल व सतही जल का योगदान
- गहराई के अनुसार नलकूपों की संख्या
इन नगर निगम क्षेत्रों में पानी का होगा आकलन: लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गाजियाबाद, बरेली, अलीगढ़ और मुरादाबाद।
पहले भी बनाई गई थी समिति: शासन ने ब्लाक स्तर पर भूजल का आकलन करने के लिए 22 सदस्यीय राज्यस्तरीय कमेटी का गठन किया था। इसी के तहत अब दस नगर निगमों को चिह्नित किया गया है, जहां भूजल की स्थिति ठीक है।
हर साल कम हो रही धरती की गगरी: लखनऊ में ही हर साल भूजल का स्तर गिर रहा है। हैंडपंप से लेकर नलकूप तक सूख रहे हैं। करीब दो हजार से अधिक हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। पांच सौ से अधिक नलकूप या तो क्षमता विहीन हो गए हैं या फिर पानी देना बंद कर चुके हैं। यही कारण है कि शहर में सबमर्सिबल पंप लगाने पर तीन साल पहले रोक लगा दी गई थी।
बनारस को बनाया जाना था रोल माडल: भूजल बचाने की दिशा में नगर निगम बनारस ने भी कुछ साल पहले अच्छी कार्ययोजना तैयार की थी। इसका प्रस्तुतिकरण शासन के अफसरों के समक्ष किया गया तो वह भी सहमत हो गए। बताया गया था कि बनारस में 138 तालाब और कुंड हैं। इनमें से कुछ धार्मिक महत्व के भी हैं। इनको बचाने के लिए निगरानी समिति का गठन किया गया था। इसमें विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन के अलावा स्थानीय प्रतिष्ठित लोगों को भी शामिल किया गया था।
भूजल बचाने के लिए लड़ रहे सलीम बेग: मुरादाबाद के सलीम बेग ने पूरे प्रदेश में तालाबों व कुंडों को तलाशा था। उन्होंने सूचना के अधिकार कानून का सहारा लेते हुए रिपोर्ट मांगी थी। जो रिपोर्ट उन्हें मिली, उसमें अधिकांश तालाबों पर कब्जा बताया गया था। बेग का कहना है कि तालाबों को बचाने और उन्हें पुराने स्वरूप में लाने की उनकी लड़ाई जारी है।