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5 विवाद और तारीख-पर-तारीख

स्वतंत्रदेश, लखनऊ:ज्ञानवापी में बीते 6 दिन से ASI सर्वे जारी है। गुंबद और सीढ़ी का ताला खुलने के बाद अब बेसमेंट का सर्वे किया जा रहा है। इसमें तहखानों की 3D इमेजिंग- मैपिंग और डिजिटल फोटोग्राफी हो रही है। 6 अगस्त को अचानक सर्वे के दौरान गुंबदों की गोलाकार छत में नागर शैली की डिजाइन मिलीं।सीलिंग पर मंदिर जैसी संरचना दिखी। त्रिशूल, मूर्ति और भाले जैसी आकृति भी नजर आई। इसके बाद हिंदू पक्ष की वादी महिलाओं के चेहरे खिल उठे। सभी ज्ञानवापी परिसर के बाहर जोर-जोर से ‘हर हर भोलेनाथ’ और ‘ओम नम: शिवाय’ के जयकारे लगाने लगीं।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाथ से ‘V’ का इशारा किया। कहा- सर्वे में ऐसी चीजें मिली हैं, जो हमारे हक में हैं। उम्मीद है यह सर्वे ऐतिहासिक होगा। उधर…मुस्लिम पक्ष का दावा है कि त्रिशूल, मूर्ति या दूसरी आकृति मिलने की बातें महज अफवाह हैं। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने एक बार फिर सर्वे का बहिष्कार करने की धमकी दी है।

ये मस्जिद नहीं, मंदिर है…ऐसा विवाद सिर्फ काशी की ज्ञानवापी में ही नहीं, बल्कि यूपी के 5 स्थलों पर कई साल से चलता आ रहा है। 3 मामलों में तो इस महीने अहम सुनवाई होनी है। आज हम ऐसी ही मस्जिदों और उनसे जुड़े विवाद को जानेंगे। कोर्ट में चल रहे केस की मौजूदा स्थिति को समझेंगे। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह विवाद शुरू कैसे हुआ और कब तक खत्म हो सकता है?

हिंदू पक्ष का दावा: साल 2022 में हुए सर्वे और वीडियोग्राफी के बाद परिसर के अंदर की एक तस्वीर सामने आईं। तस्वीर में गोल आकार की एक ठोस आकृति दिखाई दी। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह गोल दिखने वाली चीज शिवलिंग है। इस पर वकील हरिशंकर जैन का कहना था कि मंदिर को तोड़कर जबरदस्ती कब्जा करके उस पर नमाज पढ़ी जाने लगी।

तहखाने के बीचों-बीच आदि विश्वेश्वर का स्थान है, यहीं पहले शिवलिंग स्थापित था। मस्जिद के नीचे का हिस्सा अब भी पुराने मंदिर के ढांचे पर ही खड़ा है। फर्स्ट फ्लोर पर मंदिर के शिखर पर ही गुंबद रख दिया गया। फिलहाल, ASI सर्वे में तीनों गुंबदों के नीचे हिंदू मान्यताओं से जुड़े कुछ प्रतीक-चिन्ह मिले हैं। सर्वे का काम 4 हफ्ते तक चलेगा।

मुस्लिम पक्ष का दावा: मुस्लिम पक्ष का कहना है कि देश की अदालत ने ही ज्ञानवापी को मस्जिद माना है। उसमें नमाज पढ़ने का अधिकार दिया है। उसी हिसाब से सैकड़ों साल से यहां नमाज और धार्मिक कार्य हो रहे हैं। इसलिए इस पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होता है। इसके मुताबिक मुस्लिमों को वहां नमाज पढ़ने का पूरा अधिकार है।

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