उत्तर प्रदेशराज्य

नेपियर घास से बढ़ेगा दुग्ध उत्पादन

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :मांग के सापेक्ष दूध की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। मवेशियों को हरा चारा न मिलना भी इसका मुख्य कारण है। बख्शी का तालाब के चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर सत्येंद्र कुमार सिंह ने नेपियर घास पर शोध की इसकी पौष्टिकत गुणवत्ता को दुग्ध उत्पादन में कारगर पाया है। एक साल के शोध के बाद अब वह पशुपालन विभाग से नेपियर घास की खेती करने के दुग्ध उत्पादको जागरूक करने की अपील की है।

सहायक प्रोफेसर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इसमें कीट एवं बीमारियों का प्रकोप नहीं होता पशुओं को धीरे धीरे नेपियर घास खिलाने की आदत डालनी चाहिए जिससे वर्ष भर इसे आसानी से खाते रहे।

शोध में पाया कि नेपियर घास एक बहुवर्षीय रसीला हरा चारा है, जो पोषक तत्वों से भरपूर है। नेपियर घास की खेती पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध करा सकती है। किसानों की आमदनी भी दो गुनी होगी। नेपियर की शंकर-तीन, शंकर- छह, शंकर सात, शंकर-10 के अलावा एनवी-21, सीओ-तीन, पीबीएन-233 जैसी प्रजातियां कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली हैं।

सहायक प्रोफेसर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इसमें कीट एवं बीमारियों का प्रकोप नहीं होता, पशुओं को धीरे धीरे नेपियर घास खिलाने की आदत डालनी चाहिए जिससे वर्ष भर इसे आसानी से खाते रहे। इसमें रेशा अधिक होता है जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इसे खिलाने से दूध में वसा में 10 से 15 फीसद की बढ़ाेतरी होती है। एक बात ध्यान रखने वाली है कि 18 से 20 किलोग्राम नेपियर घास के साथछह से सात किलोग्राम भूसा जरूर हो। धीरे-धीरे घास की मात्रा बढ़ानी चाहिए।

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