उत्तर प्रदेशराज्य

सियासी वर्चस्व की जंग में उलटफेर से इनकार नहीं

स्वतंत्रदेश,लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के शिक्षक व स्नातक कोटे की 11 सीटों पर मंगलवार को हुए मतदान में राजनीतिक दलों का दखल बढ़ने से उलटफेर की संभावना बढ़ गयी है। भारतीय जनता पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में कई स्थानों पर जमकर वोटिंग होने से शिक्षक संघों की साख दांव पर लगी है।

शिक्षक सीटों पर मंगलवार को मतदान अधिक होने और स्नातक क्षेत्रों में वोट प्रतिशत कम रहने से बेचैनी बढ़ गयी है।

शिक्षक सीटों पर मंगलवार को मतदान अधिक होने और स्नातक क्षेत्रों में वोट प्रतिशत कम रहने से बेचैनी बढ़ गयी है। लंबे समय तक शिक्षक दल (शर्मा गुट) की पहचान बने इन चुनावों में इस बार दिग्गज वजूद बचाने के संकट में फंसे दिख रहे हैं। जिन 11 सीटों पर वोट डाले गए हैं, उनमें पांच स्नातक कोटे व छह शिक्षक कोटे की हैं। इनमें से दो पर भाजपा, दो पर सपा, चार पर शिक्षक दल शर्मा गुट व तीन पर निर्दल का कब्जा था।

मेरठ सहारनपुर क्षेत्र की स्नातक व शिक्षक सीटों पर सबकी निगाहें लगी हैं। दोनों सीटें शिक्षक संघ शर्मा गुट के कब्जे में थी। इसी सीट से शिक्षक नेता ओमप्रकाश शर्मा लगभग पांच दशक से काबिज रहे हैं, लेकिन अब उनकी बादशाहत खतरे में दिख रही है। स्नातक सीट पर शर्मा गुट के हेमसिंह पुंडीर को भाजपा से मिली चुनौती के चलते जीत की तिकड़ी बनाना आसान नहीं है। बरेली-मुरादाबाद क्षेत्र में गत चुनाव में शर्मा गुट को झटका देने वाले सपा के संजय मिश्र इस बार कड़े मुकाबले में फंसे हैं।

इसी तरह आगरा स्नातक सीट पर सपा के असीम यादव को भाजपा के मानवेंद्र सिंह तथा कर्मचारी नेता हरिकिशोर तिवारी ने उलझा दिया है। यहां शिक्षक क्षेत्र से जगवीर किशोर जैन को शिक्षक दल शर्मा गुट की साख बचाकर रखना मुश्किल दिख रहा है।

लखनऊ स्नातक सीट पर निर्दल कांति सिंह का कब्जा है। इस बार भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी के अलावा कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिली है। शिक्षक सीट पर भाजपा उम्मीदवार व निवर्तमान विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी कड़े मुकाबले में उलझे हैं।

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