चुनाव परिणाम पर टिका है कमल नाथ का ‘भविष्य’
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव कांग्रेस विधायकों के पाला बदलने की वजह से हुए। मतदान हो चुका है और नतीजों का इंतजार है। यदि नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की आवाज उठ सकती है। वैसे भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ही हैं। इसे लेकर भाजपा आरोप लगाती रही है कि प्रदेश कांग्रेस में एक ही ‘नाथ’ हैं, बाकी अनाथ हैं। वहीं, उपचुनाव के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो कमल नाथ-दिग्विजय सिंह की जोड़ी और ताकतवर बनकर उभरेगी।
हालांकि, उस स्थिति में भी नेतृत्व परिवर्तन संभावित है। प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तब मुख्यमंत्री कमल नाथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी थे। हालांकि उन्होंने स्वयं पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से पार्टी का दायित्व किसी और को देने का अनुरोध किया था ताकि वे पूरा ध्यान सरकार के कामकाज पर दे सकें। यह हो पाता, इससे पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में 22 कांग्रेस विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया। आरोप भी यही लगाया कि न तो सत्ता में सुनवाई है और न ही संगठन में। ऐसे में कांग्रेस के साथ बने रहने का मतलब नहीं है।
युवा नेतृत्व की उठ चुकी है बात
प्रदेश में युवा नेतृत्व की बात कई बार उठ चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पुत्र और छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ ने उपचुनाव में युवाओं का नेतृत्व करने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि युवा विधायक जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, सचिव यादव, ओमकार सिंह मरकाम आदि अपने-अपने क्षेत्र में मेरे साथ काम करेंगे।
कमल नाथ प्रदेश के सर्वमान्य नेता
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के पूर्व अध्यक्ष और ग्वालियर-चंबल में उपचुनाव के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस निश्चित तौर पर सत्ता में लौट रही है। विपरीत परिस्थितियों में भी कमल नाथ को ही नेतृत्व संभालना चाहिए क्योंकि वे अब मध्य प्रदेश के सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं और यह बात साबित भी कर चुके हैं।