उत्तर प्रदेशलखनऊ

सुरक्षा देने वालों की जान खुद खतरे में

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :राजधानी के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुलिसकर्मियों के जर्जर बैरक और सरकारी आवास की हालत बद से बदतर है। पूर्व के हादसों का संज्ञान लेकर एक बार फिर लखनऊ के पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर पड़ताल की गई, जिसमें पाया गया कि जनता को सुरक्षा देने वालों की जान खुद खतरे में है। पुलिस लाइन और थानों में पुलिसकर्मी जर्जर कंडम सरकारी आवास और कंडम बैरकों में रहने को मजबूर हैं। बैरकों और आवासों की छतें टूटी हैं, जो कभी भी गिरने का इशारा कर रही हैं। जगह-जगह दीवारों में दरारें हैं। बैरकों के बाहर और अंदर गंदगी की भरमार है। पुलिस लाइन के जर्जर सरकारी आवास में रहने वाले फॉलोअर व पुलिसकर्मियों को भी हर समय खतरा सताता रहता है। पूर्व में यहां भी हादसा हो चुका है। कई आवास तो पांच साल पहले कंडम घोषित हो चुके हैं, फिर भी पुलिसकर्मी परिवार संग रहने को मजबूर हैं।

लखनऊ में पुलिसकर्मियों के जर्जर बैरक और सरकारी आवास की हालत बद से बदतर है।

बीकेटी फायर स्टेशन परिसर में जर्जर बैरकों में रह रहे फायरकर्मियों की भी जान जोखिम में है। यहां टूटी बैरकों की हालात ऐसी है कि कभी भी यहां रह रहे कर्मचारियों के लिए काल बन सकती है। बरसात में टपकती छतों के नीचे सारा सामान खराब हो जाता है। कई शिकायतों के बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

बैरक में रहने पर नहीं मिलता हाउस एलाउंस

पुलिसकर्मियों के जर्जर और कंडम बैरक में रहने पर उनके हाउस एलाउंस में भी कटौती कर ली जाती है। अधिकांश पुलिसकर्मी किराये से मकान व कमरे लेकर रह रहे हैं, लेकिन हाउस एलाउंस बेहद कम होने से वहां भी गुजर बसर नहीं हो पा रही।

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