लखनऊ के काकोरी में टाइगर का आतंक, अब सांड का किया शिकार
स्वतंत्रदेश ,लखनऊकाकोरी के रहमान खेड़ा से तीन किलोमीटर दूर मीठेनगर में बाघ की फिर धमक दिखी। रविवार शाम को बाघ ने एक सांड़ का शिकार किया। करीब तीन से चार किलो गोश्त खाने के बाद वह मृत सांड को छोड़ गया है। अब वन विभाग की टीम अवशेष पर सोमवार को भी नजर रखेगी, जिससे अगर बाघ दोबारा आएगा तो उसे घेरा जा सके।मीठेनगर वही इलाका है, जहां चार दिसंबर को भी बाघ आया था, लेकिन वन विभाग गांव वालों की बात को गलत ठहराने में लगा रहा। गांव वालों का कहना था कि बाघ ने दो तीन नील गायों को भी मारा था।
डीएफओ अवध सितांशु पांडेय का कहना है कि रविवार देर शाम मीठेनगर से यह सूचना आई कि बाघ ने सांड़ को मार दिया है। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर सांड़ का अवशेष पड़ा था और उसने चार किलो के करीब गोश्त खाया था। मृत सांड को घसीटने के भी निशान मिले हैं। कल सोमवार को वन विभाग की टीम फिर से मीठेनगर जाएगी और यह नजर रखेगी कि बाघ दोबारा उसे खाने आता है या नहीं।रहमान खेड़ा में मचान तैयार कर दिया है, जहां से बाघ पर निगरानी की जाएगी। जनवरी 2012 में रहमान खेड़ा में बाघ को मचान की मदद से 109 दिन बाद ही गन से इंजेक्शन मारकर बेहोश किया गया था।रविवार को अपर प्रधान मुख्य संरक्षक लखनऊ मंडल रेणु सिंह ने डीएफओ के साथ बाघ के होने के संभावित स्थलों का दौरा किया। लखनऊ चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. बृजेंद्र मणि यादव और कानपुर चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. नासिर ने बाघ को सुरक्षित पकड़ने की रणनीति तय की।काकोरी के रहमान खेड़ा के पास से गुजरी रेलवे लाइन के पास शुक्रवार सुबह चार बजे सड़क पर टहलता हुआ बाघ दिखा था तो उसी दिन शाम पांच बजे केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में वन विभाग की तरफ से लगाए गए कैमरे में कैद हो गया था। रहमान खेड़ा से करीब आठ से दस किलोमीटर जाने के बाद बाघ लौटा था लेकिन रविवार को वह मीठेनगर पहुंच गया।
नौ गांवों में छाया सन्नाटा
काकोरी से जुड़े नौ गांवों में बाघ की दहशत है। रहमान खेड़ा,मीठेनगर और फिर जगह बदलता रहा। हलुवापुर, कटौली, उलारापुर, सलियामऊ, गुरुदीन खेड़ा, मेंथीपुर और गोखौरा में बाघ के पहुंचने के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा है। बारह दिसंबर को रहमान खेड़ा के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के ब्लाक नंबर चार के पास जंगल में नील गाय का शिकार करने के दो दिन बाद से बाघ ने अपनी लोकेशन बदली है।