उत्तर प्रदेशराज्य

पेपर लीक करने वाले पांच आरोपी हुए गायब, विजिलेंस को किया गुमराह

स्वतंत्रदेश ,लखनऊप्रयागराज स्थित रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा 6 अगस्त 2021 को आयोजित जनरल डिपार्टमेंट कंपटीटिव एग्जाम (डीजीसीई) का पेपर रेलकर्मी प्रशांत सिंह मीना के साथ 5 लोगों ने लीक किया था। इनमें से चार परीक्षा में फर्जीवाड़ा अंजाम देने के बाद फुर्र हो चुके हैं, जिसमें आगरा कैंट स्टेशन का कथित पार्सल पोर्टर विनोद कुमार भी शामिल है। वहीं सीबीआई को अब अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराने वाले निजी व्यक्ति गणपत विश्नोई, रेख सिंह, अमित और कैलाश मीना की तलाश है। गणपत को पेपर लीक करने वाले राजस्थान के इस गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। सीबीआई ने पेपर लीक मामले में 11 रेलकर्मियों व एपटेक कंपनी के खिलाफ मुुकदमा दर्ज कर बृहस्पतिवार को राजस्थान और यूपी के 11 ठिकानों पर छापा मारकर अहम सुबूत जुटाए थे। इससे पहले इस प्रकरण की जांच रेलवे की विजिलेंस ने की थी। विजिलेंस की रिपोर्ट में बताया गया कि अभ्यर्थी रेलकर्मी भूप सिंह ने बयान दिया कि उसे अलीगढ़ के ट्रैक मेंटेनर प्रशांत कुमार मीना ने दो लाख रुपये लेकर पेपर मुहैया कराया था। प्रशांत ने उसे 5 अगस्त की रात गाजियाबाद बुलाया था, जहां से ऑटो के जरिए एक कमरे में ले गया। वहां पहले से उसके सहकर्मी हंसराज मीना, प्रमोद कुमार मीना, पीतम सिंह और धर्मदेव मौजूद थे। उन सभी को रातभर पेपर के प्रश्नों के जवाब याद कराए गए। सुबह होने पर उन्हें परीक्षा केंद्रों पर ले जाकर छोड़ दिया।

तीन महीने पहले कंपनी को दिया पेपर, आंसर की
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि प्रयागराज रेलवे भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजेश कुमार ने 15 अप्रैल 2021 को एपटेक कंपनी द्वारा अधिकृत की गई कर्मचारी प्रियंका तिवारी को पेपर और आंसर-की दी थी। हालांकि विजिलेंस यह पता नहीं लगा सकी कि पेपर कब और कहां से लीक हुआ। तह तक जाने के लिए विजिलेंस ने मुंबई के साइबर फॉरेंसिक एनालिस्ट कंपनी माइक्रॉन कंप्यूटर से जांच करायी। कंपनी ने बताया कि एपटेक ने पेपर को सुरक्षित रखने के लिए फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल और फायरवॉल समेत जरूरी नियमों का इस्तेमाल नहीं किया। पासवर्ड से सुरक्षित नहीं होने पर इसे एपटेक के कर्मचारी आसानी से देख सकते थे। वहीं एपटेक भी अधूरी जानकारियां देकर विजिलेंस को गुमराह करता रहा। इसी वजह से सीबीआई ने एपटेक को भी मुकदमे में नामजद किया है।

कैलाश ने दिया था पेपर
प्रशांत कुमार मीना ने अपने बयान में कहा कि उसे निजी व्यक्ति कैलाश मीना ने अभ्यर्थियों को गाजियाबाद बुलाकर उसके पास भेजने को कहा था। वह राजस्थान में सरकारी नौकरी हासिल करने के प्रयास के दौरान कैलाश से मिला था। कैलाश ने ही उसे प्रति अभ्यर्थी 4.50 लाख रुपये में डीजीसीई का पेपर मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। इसी तरह बाकी अभ्यर्थियों ने भी पेपर लीक कराने वाले गिरोह के सदस्यों से पुरानी पहचान होने की बात कबूली।

इनके बयान हुए थे दर्ज
भूप सिंह, जीतेंद्र कुमार मीना, प्रशांत कुमार मीना, प्रमोद कुमार मीना, हंसराज मीना, पीतम सिंह, धर्मदेव, हरिओम मीना, मोहित भाटी, महावीर सिंह, वेगराज व मान सिंह।

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