अभ्यास से मिसाल बनी बच्ची
स्वतंत्रदेश, लखनऊ :उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में रहने वाली 15 साल की प्रार्थना भटनागर ने अपने अंदर एक चौंकाने वाली प्रतिभा विकसित की है। यह बच्ची अपनी आंखों पर काली पट्टी बांधकर बिना देखे कुछ भी पढ़ सकती है। इतना ही नहीं पैरों के पंजे से छूकर किसी भी वस्तु के रंग को सटीक बता सकती है। उसे दुनियाभर की 14 भाषाओं का ज्ञान है। मध्यम परिवार की साधारण सी प्रार्थना ने यह सबकुछ अपने पिता के सहयोग से महज तीन माह में सीखा है।
10वीं की छात्रा है प्रार्थना
सदर बाजार के मोहल्ला खिरनीबाग निवासी पुनीत भटनागर के परिवार में पत्नी उपमा भटनागर, 15 साल की बेटी प्रार्थना भटनागर और 5 साल का बेटा पवित्र भटनागर है। बेटी प्रार्थना भटनागर 10वीं क्लास की छात्रा है। प्रार्थना की सच्चाई जानने के लिए दैनिक भास्कर उसके घर पहुंचा। दैनिक भास्कर ने जैसा महसूस किया, वैसा ही लिखा गया है….
”छात्रा प्रार्थना ने सबसे पहले अपनी दोनों आंखों पर रूई रखी, और उसके बाद काली पट्टी बांध ली। कई तरह के अखबार छात्रा को दिए गए, उन्होंने अखबार के अक्षरों को छूकर ही उसको पढ़ना शुरू दिया। कुछ देर के लिए भरोसा नहीं हुआ। तब कुछ विजिटिंग कार्ड दिए गए। उसको भी छात्रा ने सिर्फ छूकर अक्षरों का अहसास करके ही जैसा लिखा हुआ था उसके एक-एक शब्द को सही तरीके से पढ़ा। इसके बाद अलग-अलग रंग के वस्तुओं को उसकी मां ने छात्रा के पैर के पंजे के नीचे रखा, तब छात्रा ने उसका रंग भी बता दिया। वाकई यह दृश्य हैरान कर देने वाला था। इसके बाद छात्रा ने बताया कि, उसको दुनिया की 14 भाषाओं का ज्ञान है। हालांकि कैमरे पर छात्रा ने अमेरिकी और ब्रिटिश लैंग्वेज को ही बोला। अभी तक आंखों से देखकर लोगों पढ़ते हुए देखा होगा, लेकिन आज बगैर देखे सिर्फ अक्षरों को छूकर लिखावट का अहसास करके पढ़ते देखकर हैरानी हुई। छात्रा बड़ी होकर आईएएस बनना चाहती है।”
जापान की टेक्नोलॉजी बेटी पर अजमाई
छात्रा के पिता पुनीत भटनागर 2015 से पहले कई अखबारों में पत्रकारिता कर चुके हैं। उनकी पत्नी इन्कम टैक्स विभाग की वकील हैं। पिता ने बताया कि, 2015 के बाद वह नौकरी से थक चुके थे। लेकिन कुछ अलग और अपना काम करना चाहते थे। तब उनको जापान में इजाद हुई मिड ब्रेन एक्टिवेशन टेक्नालॉजी के बारे में पता चला। ज्यादा जानकारी जुटाने पर मालूम हुआ कि, ये टेक्नालॉजी सबसे पहले गुजरात में आई है। टेक्नोलॉजी को समझाने के लिए 2015 में परिवार के साथ पुनीत गुजरात गए। वहां उन्होंने और उनकी पत्नी ने ट्रेनिंग ली, उसके बाद खुद की मिड ब्रेन पाॅवर एक्टिवेशन एकेडमी के नाम से कंपनी बनाई और उसके बाद वह डिस्ट्रीब्यूटर बन गए। लेकिन रिसर्च सबसे पहले खुद की बेटी पर किया।