उत्तर प्रदेशराज्य

 चुनाव आयुक्त बने ज्ञानेश कुमार ने बढ़ाया आगरा का मान 

स्वतंत्रदेश ,लखनऊमेधावी परिवार के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार ने चुनाव आयुक्त बनकर आगरा का मान बढ़ाया। नई विजय नगर कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुबोध कुमार गुप्ता के बड़े बेटे ज्ञानेश कुमार की परंपरा को उनके भाई, बहन और बच्चों ने आगे बढ़ाया।देश की प्रतिष्ठित सेवाओं में शामिल परिवार में नियुक्ति को लेकर खुशी का माहौल है। पिता डा. सुबोध गुप्ता ने बताया कि बड़े बेटे ज्ञानेश की प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर सहित अन्य जिलों में हुई। उन्होंने आज अपने परिवार का नाम और आगरा की शान को बढ़ाया है।

ज्ञानेश कुमार पढ़ाई में ज्ञानेश हमेशा अव्वल रहे। वाराणसी के क्वीन कॉलेज से हाईस्कूल और लखनऊ से यूपी बोर्ड के कॉलेज से इंटरमीडिएट में यूपी टॉप किया था। आइआइटी कानपुर से बीटेक के बाद सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। वर्ष 1988 में केरल कैडर के आईएएस अधिकारी बने। त्रिवेंद्रम में बतौर डीएम पहली पोस्टिंग हुई थी। छोटा बेटा मनीष आईआरएस अधिकारी और बेटी रोली जैन ने पीएचडी की है। रोली के पति उपेंद्र जैन मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं।

श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े

31 जनवरी 2023 को ज्ञानेश कुमार सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्तमान में वह श्रीराम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट में सरकार के प्रतिनिधि हैं। अयोध्या में भगवान राम के बाल स्वरूप की जो मूर्ति लगी है, उस मूर्ति के निर्णायक मंडल में भी वह शामिल रहे। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय ज्ञानेश गृह मंत्रालय में सचिव थे। युद्धग्रस्त ईराक से केरल की 40 नर्सों को सुरक्षित वापस लाने का सफल ऑपरेशन भी उनकी बड़ी उपलब्धि थी।

बड़ी बेटी मेधा आइएएस और छोटी अभिश्री आईआरएस

ज्ञानेश कुमार की बड़ी बेटी मेधा रूपम और उनके पति मनीष बंसल 2014 बैच के यूपी कैडर के आईएएस हैं। मेधा रूपम शूटिंग में गोल्ड मेडल विजेता रही हैं और वर्तमान में बाराबंकी में मुख्य विकास अधिकारी हैं। छोटी बेटी अभिश्री आईआरएस और उनके पति अक्षय लाबरू भी आईएएस अधिकारी हैं। बेटा आर्नव पढ़ाई कर रहा है।

आज 18 बार होगा गीता पाठ

पतंजलि योगपीठ की योगाचार्य मां सत्यवती गुप्ता ने बताया कि ज्ञानेश बचपन से मेधावी रहा। कभी भी ट्यूशन नहीं पढ़ा। शुक्रवार को 18 बार गीता पाठ और 54 बार शंख बजाया जाएगा। यह आयोजन पहले से ही तय था। ज्ञानेश की उपलब्धि ने दोहरा उत्साह भर दिया है।

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