उत्तर प्रदेशराज्य

अब अयोध्या में , कर्फ्यू नहीं, होगा राम का कीर्तन-योगी

स्वतंत्रदेश,लखनऊमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नई अयोध्या में अब कभी कर्फ्यू नहीं लगेगा बल्कि वहां राम नाम संकीर्तन होगा। वहां पर कभी गोली नहीं चलेगी बल्कि रामभक्तों को लड्डू के गोले मिलेंगे। अयोध्या में अब कोई पंचकोसी, 14 कोसी और 84 कोसी परिक्रमा को रोकने का साहस नहीं करेगा।मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार शाम आयोजित कार्यक्रम में हेरिटेज हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से देश के 12 लाख हस्तशिल्पियों की ओर से श्रीरामलला के लिए तैयार विशिष्ट वस्त्र को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपे गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में राम के बिना कोई काम संभव नहीं हैं। जन्म हो तो अखण्ड रामायण का पाठ होता है और जीवन की अंतिम यात्रा में राम नाम का उच्चारण होता है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में नव्य मंदिर में राम के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा लोक आस्था और जन विश्वास की पुनर्प्रतिष्ठा है। 500 वर्षों तक श्रीरामजन्मभूमि का मुद्दा कभी दबा नहीं। ऐसा उदाहरण किसी अन्य प्रकरण के लिए अन्यत्र कहीं नहीं देखने को मिलता।

राम, धर्म अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति के माध्यम
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु राम, धर्म अर्थ, काम और मोक्ष यानी चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति के माध्यम हैं। राम जैसा कोई नाम नहीं। यह अकेला ऐसा नाम है जो आजीविका का साधन भी है। राम आस्था के साथ आर्थिकी के भी माध्यम हैं।

अयोध्या को आज गौरव के अनुरूप मिला रहा सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या अपने गौरव के अनुरूप सम्मान प्राप्त कर रहीं हैं। लखनऊ से अयोध्या के लिए जल्द ही हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने जा रही है। सरयू में क्रूज चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ समय पूर्व तक कल्पना से परे था लेकिन रामकृपा से आज यह सब साकार हो रहा है।

वस्त्रों में रामभक्ति का तानाबाना
मुख्यमंत्री ने कहा कि हेरिटेज हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से रामलला के लिए 12 लाख हस्तशिल्पियों की ओर से वस्त्र तैयार किए हैं। वस्त्र में रामभक्ति का ताना है और हस्तशिप का बाना है। वस्त्र को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी को सौंपा।

त्रेतायुगीन वानर-भालू ही आज रामभक्त बनकर कर रहे रामकाज 
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के के वरिष्ठ संरक्षक सुरेश जोशी भैया जी ने कहा कि भगवान राम के जीवन को देखें तो उनका पूरा जीवन संघर्षमय दिखता है। प्रारंभ में विश्वामित्र जी लेकर गए, तो बाद में वनवास हुआ और फिर न चाहते हुए भी लंका पर आक्रमण करना पड़ा। उस समय उनके साथ वानर सेना थी और आज लगता है कि वही वानर-भालू पुनर्जन्म लेकर फिर राम काज के लिए प्रस्तुत हैं। राम के जीवनकाल में भी कुछ उनके विरुद्ध थे, कुछ तटस्थ, आज भी कुछ वैसा ही है। रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा से एक बार फिर रावण संस्कृति नष्ट होगी और रामराज्य की पुनर्स्थापना होगी।

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