उत्तर प्रदेशराज्य

आगरा डीएम के तेवर सख्त

स्वतंत्रदेश ,लखनऊउत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना के डूब क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों की कलई खुलेगी। बाईंपुर से बल्केश्वर तक सात किमी क्षेत्र में सिंचाई विभाग ने डूब क्षेत्र के चिह्नांकन का दावा किया है। मंगलवार को जिला पर्यावरण समिति की बैठक में डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने रिपोर्ट तलब करते हुए ड्रोन से डूब क्षेत्र की रिकॉर्डिंग कराने के निर्देश दिए हैं।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डूब क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा रखी है। ताज संरक्षित वन क्षेत्र मामले में एनजीटी ने जिलाधिकारी को डूब क्षेत्र के चिह्नांकन के लिए मुड्डियां गढ़वाने के निर्देश दिए थे। सिंचाई विभाग ने इसका ठेका दिया था। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में डीएम ने समीक्षा की।उन्हें बताया गया कि 1100 पिलर लगाए जा चुके हैं। नदी किनारे से 200 मीटर डूब क्षेत्र चिह्नित किया है। प्रत्येक मुड्डी 500 मीटर की दूरी पर लगाई गई है। जिसके सत्यापन के लिए डीएम ने ड्रोन से रिकाॅर्डिंग कराने के निर्देश दिए हैं। रिकॉर्डिंग से डूब क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण भी चिह्नित होंगे। मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने डूब क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण ध्वस्त करने के आदेश डीएम को दिए थे।

नदी की जैव विविधता का होगा मूल्यांकन

डूब क्षेत्र चिह्नांकन के साथ ही यमुना नदी की जैव विविधता का मूल्यांकन भी होगा। डीएम ने नदी में मौजूद कछुआ, मछली व अन्य जलचरों की स्थिति, जल प्रदूषण व अन्य मानकों की जांच के निर्देश दिए हैं। यमुना में गिरने वाले 61 नालों की टैपिंग, गंदे पानी को शोधित करने के लिए फाइटो रैमिडिएशन की रिपोर्ट 30 सितंबर तक नगर निगम के पर्यावरण अभियंता को प्रस्तुत करने को कहा है।

ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान की समीक्षा करते हुए डीएम ने वायु प्रदूषण, धूल, धुआं व हरित पट्टी पर अधीनस्थों से जवाब-तलब किया। नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि स्वच्छ वायु के लिए उन्हें पिछले दिनों अवार्ड मिला है। डीएम ने कहा, अवार्ड को जेब में रख लें। अवार्ड मिलना ही वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्याप्त नहीं है। धूल उठाने के लिए टीम नहीं बनाने पर डीएम नाराज हुए। 15 वर्ष पुराने वाहनों की जांच के निर्देश दिए हैं।

सर्वे से पता चलेगी स्थिति

डूब क्षेत्र चिह्नांकन के निर्देश एनजीटी ने दिए थे। मास्टर प्लान में 200 मीटर दायरा है। ड्रोन सर्वे से धरातल पर हकीकत पता चलेगी। अवैध निर्माण भी चिह्नित हो सकेंगे।वायु प्रदूषण के आंकड़े कुछ कह रहे हैं। पर्यावरण कुछ कह रहा है। वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पढ़ता है। धूल, धुएं पर रोक लगनी चाहिए।

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