भगवान की जमीन पर समझौते का अधिकार नहीं
ज्ञानवापी मामले को अदालत के बाहर निपटाने के लिए चर्चा के प्रस्ताव पर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जवाब दिया है। बुधवार को इसकी पुष्टि खुद इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ओर से की गई है। इससे पहले विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन द्वारा एक पत्र भेजा गया था। पत्र में विवाद का निपटारा अदालत के बाहर करने का प्रस्ताव था।
इंतजामिया कमेटी के जवाब दिए जाने की चर्चा पर अब इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, “किस संगठन ने बात की है? मैं किसी संगठन का नाम नहीं लेना चाहता हूं। कोई भी संगठन ऐसा नहीं है, जो हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता हो। जो शिव भक्त हैं, उनको अधिकार हो कि वो किसी भी मंदिर की संपत्ति के बारे में समझौता कर सकते हों।”
प्रस्ताव पर वकील बोले- भ्रमित कर रहे हैं
वकील हरिशंकर जैन ने कहा, “मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं। जो लोग इस तरह की मुहिम चला रहे हैं, वो लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। हिंदू धर्म के लिए भ्रम पैदा कर रहे हैं और वो फूट डालना चाहते हैं। वो हिंदुओं के गद्दार हैं। ऐसे सभी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। मेरा मतलब बिल्कुल साफ है और मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जितने भी केस हैं, इसकी मुहिम मैंने शुरू की है। 6 केस दाखिल किए हैं और 6 डाइमेंशन हैं। इसमें स्वामित्व का अधिकार, पूजा-पाठ का अधिकार, पांच कोस धार्मिक क्षेत्र बनाने का अधिकार ये सभी चीज शामिल है।”
उन्होंने कहा, “पूरे केस में कोर्ट फैसला लेगा। इसमें समझौता या गिव एंड टेक नहीं हो सकता है। भगवान की संपत्ति कभी कोई व्यक्ति नहीं दे सकता है। यह हमारा साफ मत है कि पूरी की पूरी ज्ञानवापी की संपत्ति भगवान शिव की है। इस वजह से किसी भी हिंदू या किसी भी संगठन को एक इंच जमीन भी किसी को देने का अधिकार नहीं है।”