उत्तर प्रदेशराज्य

धार्मिक जलसे के नाम पर PFI फैला रहा कट्टरपंथ

स्वतंत्रदेश , लखनऊ:राजधानी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में अपनी पैठ बना ली है। माल से लेकर कुर्सी रोड होते हुए बाराबंकी तक इसके एजेंट धर्म विशेष के लोगों को धर्म के नाम पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं। एटीएस की सितंबर 2022 और रविवार को हुई छापेमारी में इसका खुलासा हुआ है।राजधानी के बाहरी इलाके बीकेटी, सैरपुर, गुडंबा के साथ ही इंदिरानगर, अमीनाबाद, चौक, मदेयगंज और वजीरगंज इलाके में भी इनकी जड़े मजबूत हुई हैं। यह लोग मुस्लिमों पर अत्याचार और अधिकारों के नाम पर लोगों को एक करने वाली एक संस्था के साथ ही बीकेटी अचरामऊ गांव का प्रधान अरशद अहम भूमिका अदा कर रहा है।

बीकेटी के अचरामऊ ग्राम सभा के घर-घर दे रहा संगठन की दस्तक
लखनऊ शहर से करीब 26 किमी दूर बीकेटी तहसील के अचरामऊ गांव पीएफआई संगठन का गढ़ बना हुआ है। ग्राम प्रधान अशरद यहां कट्टरता की पाठशाला चला था। 27 सितंबर 2022 में एटीएस को चमका देकर फरार होने वाला अशरद इस बार भी हाथ नहीं लगा।सामने आया कि गांव के पढ़े-लिखे लोगों को भी अपने जाल में फंसा रखा है। इसका ही नतीजा है कि उसकी बातों में आकर बाराबंकी स्थित फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक वहीद और सीमैप से पीएचडी करने वाले उसके भाई मजीद भी पीएफआई की पाठशाला लगाने लगे थे। वहीं गांव के ही सऊदी में काम कर चुके रेहान और उसका भाई सलमान भी धर्म के नाम पर लोगों को बहकाने लगे।

अचरामऊ में पीएफआई की होती थी हर सप्ताह मीटिंग
गांव के लोगों का कहना है कि यहां पर हर सप्ताह पीएफआई की मीटिंग होती है। यहां से पकड़े गए फरहान और जफर के घर वालों का कहना है कि पुलिस लोगों को परेशान करती है। जबकि यहां तो धार्मिक जलसे होते रहते है। जो यह कराता है उसको कभी नहीं पकड़ती।

लोकल स्तर पर फंडिग करने वालों की तलाश
एटीएस सूत्रों के मुताबिक पीएफआई एजेंट और संगठन को मजबूत करने के लिए खाड़ी देशों से के साथ स्थानीय लेवल पर भी फंडिंग हो रही है। जो जकात के नाम पर दी जा रही है।

सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर बोया जा रहा जहर
प्रदेश भर के बीस जिलों में शनिवार-रविवार को हुई कार्रवाई में 73 पीएफआई से जुड़े लोगों को एटीएस ने पकड़ा। जांच में आया कि यह लोग सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे से जुड़कर अधिकारों के नाम पर देश विरोधी गतिविधियों को हवा दे रहे हैं। वहीं वाराणसी से गिरफ्तार 50 हजार के इनामी परवेज अहमद और रईस अहमद पुलिस कस्टडी में अतीक और असरफ की हत्या के मुद्दे को भी काम पर हमला होने की बात कह माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए यह लोग वॉट्सऐप ग्रुप और धार्मिक जलसा के नाम पर मीटिंग के दौरान लोगों को बहला रहे हैं।
सरकार के खिलाफ देते थे भड़काऊ भाषण, कराते एक्जिट पोल
सूत्रों के मुताबिक पीएफआई आजकल नवजवानों का एक संगठन यूपी में खड़ा करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पीएफआई के एजेंट उन्हें सरकार की नीतियों के खिलाफ भड़का कर ब्रेनवाश कर रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया से बेरोजगारी, धर्म से जुड़े लोगों पर पुलिस के माध्यम से मरवाने और धार्मिक स्थलों पर कब्जा करने जैसे मुद्दों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
इसके लिए संगठन ने टेक्नोक्रेट सोशल मीडिया नामक का सेल तैयार किया था। इससे जुड़े सदस्य कई यू- ट्यूब न्यूज चैनल और 350 से अधिक सोशल मीडिया ग्रुप चला रहे हैं। साथ ही मिश्रित आबादी में एक्जिट पोल कराकर लोगों को अपने धर्म को बचाने के लिए वोट देने के लिए पार्टी और प्रत्याशी का फतवा तक जारी करा रहे हैं।

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