निकाय चुनाव की पहलवानी से चलेंगे 2024 के अखाड़े के दांव
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:शहरी निकाय चुनाव का शंखनाद हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले होने जा रहे ये चुनाव सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की डगर है। नगर निगम महापौर में पिछली बार भाजपा ने 16 में 14 और बसपा ने दो सीटें जीती थींं। बसपा दो स्थानों पर दूसरे स्थान पर भी थी। सपा और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। पीछे रहने वालों के लिए इस बार जहां अच्छा प्रदर्शन करना चुनौती है तो भाजपा के लिए इस स्थिति को बरकरार रखना अहम है।
निकाय चुनाव की सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। एक अप्रैल को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। ऐसे में सभी दलों ने अपनी तैयारियों को मुकम्मल करना शुरू कर दिया है। सभी दल इस चुनाव को लोकसभा चुनाव का रिहर्सल मान रहे हैं। पिछले निकाय चुनाव में मेयर के पदों पर जीत भाजपा व बसपा को मिली थी। अलीगढ़ और मेरठ में हाथी चिंघाड़ा था। बाकी सभी निकायों में कमल खिला था। मगर, गौर करने वाली स्थिति उपविजेता को लेकर थी।
कांग्रेस का प्रदर्शन मुख्य विपक्षी दल सपा से बेहतर था और वह छह सीटों पर दूसरे स्थान पर थी। कानपुर नगर, गाजियाबद, मथुरा, मुरादाबाद, वाराणसी और सहारनपुर में कांग्रेस ने सपा और बसपा को पीछे छोड़ दिया था। कांग्रेस को इस बार बड़ी चुनौती का सामना करना है।
वहीं, सपा पांच नगरों में उपविजेता रही। अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली तथा लखनऊ में सपा ने दूसरे नंबर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। फिरोजाबाद में एआईएमआईएम प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहा तो भाजपा दो स्थानों पर उपविजेता थी।
पिछली बार नगर पालिका के 198 और नगर पंचायतों की 438 सीटों पर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। भाजपा ने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद की 70 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 100 सीटें जीती थीं। इसी तरह सपा के 45, बसपा के 29 और कांग्रेस के 9 नगरपालिका चेयरमैन बने जबकि नगर पंचायतों में सपा के 83 बसपा के 45 और कांग्रेस के 17 अध्यक्ष बने थे।