सरकार का हरित ऊर्जा पर जोर
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में योगी सरकार ने ग्रीन एनर्जी पर खासा जोर दिया है। सरकार का साफ विजन है कि उन ऊर्जा स्रोतों पर फोकस किया जाए, जिससे पयार्वरण को नुकसान न हो। हालांकि, ग्रीन एनर्जी का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा निजी निवेश कराने की है। इसके लिए वैश्विक निवेश सम्मेलन से पहल शुरू भी कर दी गई है। सौर ऊर्जा नीति 2022 के तहत अगले पांच साल में 22000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता सृजित करने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य हासिल करना बड़ी चुनौती है, क्योंकि गैर पारंपरिक ऊर्जा परियोजनाएं काफी धीमी गति से चल रही हैं।
यह बजट किसानों के लिए भी खुशियों की सौगात लेकर आया है। अब इन्हें निजी नलकूप का बिल नहीं देना होगा। अभी किसानों को आधा बिल देना पड़ता था। हालांकि ऊर्जा क्षेत्र में किए गए दावों को पूरा करने के लिए वैश्विक निवेश सम्मेलन में हुए करारों के धरातल पर उतारना होगा। बिजली कंपनियों का घाटा भी बड़ा सिरदर्द है। यह घाटा एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंच गया है। घाटा कम होने के बजाय साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है।
बेहतर हुई बिजली आपूर्ति
बिजली वितरण और उत्पादन के मोर्चे पर बीते छह साल में कोई खास उपलब्धि नहीं है, लेकिन ट्रांसमिशन क्षमता में जरूर इजाफा हुआ है। इससे बिजली आपूर्ति बेहतर हुई है। सुदूर क्षेत्रों तक भी बिजली पहुंची है। 2016-17 में प्रदेश में ट्रांसमिशन क्षमता 16348 मेगावाट थी जो 28000 मेगावाट तक हो गई है। इसके साल के अंत तक 31000 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
उत्पादन बढ़ाने की चुनौती
सामान्य तौर पर प्रदेश में बिजली की मांग 20000-24000 मेगावाट रहती है। लेकिन प्रदेश के बिजलीघरों से बमुश्किल 4000-4500 मेगावाट ही बिजली मिल पाती है। बाकी इंतजाम अन्य स्रोतों से करना पड़ता है। 2022 में बिजली की अधिकतम मांग 26,537 मेगावाट पहुंची थी। इस साल अधिकतम मांग 29000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। इसे देखते हुए भविष्य में बिजली संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए न सिर्फ ठीक-ठाक निवेश, बल्कि प्रबंधकीय तंत्र को भी दुरुस्त करना होगा।