उत्तर प्रदेशराज्य

डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र 65 साल करने की तैयारी

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार इनकी सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ा कर 65 साल करने पर विचार कर रही हैं।इसके लिए शीर्ष स्तर के विभागीय अफसर से फीडबैक मांगा गया हैं।

वहीं डीएनबी प्रशिक्षण में गाइड की भूमिका वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों को भी तीन साल से पहले ट्रांसफर न करने पर विचार हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव ने महानिदेशक चिकित्सा से इस संबंध में तीन दिनों में आख्या मांगी है।हालांकि इसको लेकर चिकित्सक गुटों में भी अलग – अलग मत हैं। कुछ ऐसे बढ़ाने के पक्ष में वही कुछ न बढ़ाने का तर्क दे रहे हैं।

डीजी, निदेशक, एडी के पद बढ़ाने पर जोर

मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की तर्ज पर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु भी 65 वर्ष हो सकती है। इस संबंध में सीएम योगी को डॉक्टरों की कमी सहित कई बिंदुओं पर प्रस्ताव सौंपा गया था। इसे सीएम कार्यालय ने परीक्षण के लिए स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया। इसमें कहा गया है कि काफी संख्या में विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिटायरमेंट और तबादलों के कारण चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। यह भी सुझाया गया है कि सामान्य, विशेषज्ञ और सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की आवश्यकताओं, स्तरों व नियुक्ति स्थान को एक रूप में नहीं रखा जाना चाहिए। विभाग में फिलहाल जो भी पद हैं वे 2007 से पहले के सृजित हैं। तब से जनसंख्या काफी बढ़ चुकी है। एक महानिदेशक के पास कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों की देखभाल का जिम्मा है। निदेशक व अपर निदेशक स्तर के पद भी सीमित संख्या में हैं। वह भी काफी समय तक रिक्त रह जाते हैं।

दरअसल महानिदेशक, निदेशक, अपर निदेशक और वरिष्ठ एल-4 के चिकित्सकों के वेतनमान समान हैं। ऐसे में इनके पदनाम बदलते हुए इन पदों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव डा. मन्नान अख्तर ने सीएम कार्यालय से प्राप्त प्रस्तावित सुझावों को महानिदेशक को भेजते हुए तीन दिन में आख्या देने को कहा है।

रिटायर डॉक्टरों का अब्सॉर्प्शन भी काफी कम

रिटायर डॉक्टर को फिर रखे जाने की व्यवस्था तो है मगर इनकी संख्या स्वीकृत पदों की तुलना में काफी कम है। यह डॉक्टर भी कई महीनों में मिल पाते हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य संचारी रोग फैलने पर मरीजों की संख्या अस्पतालों में बहुत बढ़ जाती है और डॉक्टरों की कमी रहती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की तर्ज पर 65 वर्ष सविकल्प और फिर 70 वर्ष करने का सुझाव दिया गया है।

Related Articles

Back to top button