IPS के फार्म हाउस में खुदकुशी या हत्या?
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:लखनऊ के माल क्षेत्र के रहने वाले विजय मौर्य की डेडबॉडी आम के बाग में लटकती मिली। वो 10 साल से IPS बीके मौर्य के फार्म हाउस पर नौकरी करता था। उसके जाने के बाद घर में मायूसी छाई है। 2 दिन से चूल्हा तक नहीं जला। मां रामकली रोते-रोते बेसुध हो जाती हैं। प्रीती अपनी 11 महीने की बच्ची को गोद में लिए चीख-चीख कर कह रही है कि अब इसे कौन पालेगा। बड़ी बेटी का हाथ पकड़कर कह रही है कि अब इसे स्कूल कौन ले जाएगा।
विजय के अंतिम संस्कार के दिन अटारी गांव पहुंची। हम पहले मृतक के घर पहुंचे, जहां पहले से ही थाना प्रभारी प्रवीण कुमार पूरे पुलिस दल के साथ मौजूद थे।
मृतक विजय की पत्नी प्रीती ने बताया, “मौत के एक दिन पहले यानी सोमवार सुबह वह घर आए थे। मैंने उन्हें चाय-नाश्ता कराया। फिर वह हमारी 5 साल की बेटी समृद्धि को स्कूल जाने के लिए बस तक छोड़ने गए। वहीं से फार्म हाउस चले गए। काम बहुत था, इसलिए दोपहर में किसी लड़के को टिफिन लेने घर भेजा। मैंने खाना भिजवाया।”
“फिर शाम को ही उन्होंने मुझे फोन भी किया था। 6.45 का वक्त हो रहा था। उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पेस्टिसाइड्स लेने कन्नौज जाना है। वहीं कॉलेज में मेरे असाइनमेंट भी जमा होने थे तो उन्होंने कहा- 30 नवंबर आखिरी डेट है। तुम उसे कंप्लीट कर लो मैं कल जमा कर आऊंगा। मैंने असाइनमेंट कम्प्लीट किया और इस आस में सो गई कि सुबह 7 बेटी को स्कूल छोड़ने आएंगे। फिर कन्नौज चले जाएंगे। सुबह नहीं आए तो मैंने उन्हें कॉल किया। लेकिन फोन उठा नहीं।”
मृतक विजय की पत्नी प्रीती ने भरी हुई आवाज में आगे बताया, “मंगलवार की सुबह जब वो घर नहीं आए तो मैने उन्हें कॉल किया। कॉल नहीं उठा। फिर मैंने लगातार कई कॉल किए। दो बार उनका दूसरा नंबर बिजी भी आया। फिर मैंने सुरती खेड़ा में रहने वाले उनके दोस्त छोटू को कॉल किया। छोटू, शुभम साहू और छोटू के पापा वहीं सोए थे। मैंने छोटू से विजय के बारे में पूछा तो उसने कहा कि गाड़ी तो यहीं है लेकिन भैया दिखाई नहीं दे रहे।”
मैंने उनसे ढूंढने के लिए कहा तो फोन कट गया। फिर कुछ देर बाद बड़े भैया के पास कॉल आया कि विजय की डेड बॉडी पेड़ से लटकी हुई है। सभी भागे-दौड़े वहां पहुंचे। उसके बाद से मुझे कुछ याद नहीं। मेरी छोटी-छोटी बेटियों के सिर से बाप का साया छिन गया। वो आत्महत्या नहीं कर सकते।