उत्तर प्रदेशराज्य

 हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना पर दिखाई सख्ती

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के परिवहन आयुक्त के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। यह आदेश जस्टिस करुणेश सिंह पवार ने याची विवेक कुमार शुक्ला की याचिका पर दिया है। परिवहन आयुक्त से कोर्ट ने 3 माह में जांच पूरी करने और हाजिर होने का आदेश दिया था। परिवहन आयुक्त न हाजिर हुए और न ही जवाब दाखिल किया।

परिवहन आयुक्त से खासी नाराज दिखी कोर्ट
परिवहन आयुक्त ने याची विवेक कुमार शुक्ला को निलंबित कर जांच बैठाई थी। याची ने अपने निलंबन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने निलंबन पर रोक लगाते हुए परिवहन आयुक्त से जवाब मांगा था। साथ ही साथ कोर्ट ने 3 माह में जांच पूरी करने का भी निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद भी न तो जांच पूरी हुई और न ही जवाब दाखिल किया गया। इससे कोर्ट खासी नाराज दिखी। जस्टिस करुणेश सिंह पवार ने परिवहन आयुक्त के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है।

महिलाओं के चयन मामले में हस्तक्षेप से इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आबकारी कांस्टेबल भर्ती मामले में महिलाओं के अनारक्षित पदों से अधिक भर्ती में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पुरुष और महिला की शारीरिक दक्षता में वर्गीकरण करना मनमाना नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि पुरुषों व महिलाओं में भेदभाव का आरोप निराधार है। यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमसेरी ने प्रमोद कुमार सिंह व सिद्धार्थ पांडेय की याचिका पद सुनवाई करते हुए दिया है।

21वीं सदी में पुरुष ही आगे रहेगा यह स्वीकार्य नहीं- हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आगे कहा कि नारी शक्ति शक्तिशाली समाज का निर्माण करती है। महिलाओं ने बड़ी संख्या में सफलता अर्जित कर विफल पुरुषों की मेरिट में अपना स्थान बनाया है। 21वीं सदी में पुरुष ही आगे रहेगा यह स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रुप सी के आबकारी कांस्टेबल की भर्ती निकाली थी, जिसमें 203 सामान्य, 109 ओबीसी, एससी 85, एसटी 8, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित 8, 20 पद पूर्व सैनिक व 81 महिलाओं के पद थे। 17 अगस्त 2021 को इसका परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें 143 महिलाओं को अंतिम सफलता मिली थी। 81 पद के सापेक्ष 143 महिलाओं के सफल होने को असफल होने वाले पुरुंष अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था।

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