उत्तर प्रदेशलखनऊ

11 करोड़ का मिड डे मील खा गया प्राइमरी टीचर

स्वतंत्रदेश, लखनऊ:यूपी में बेसिक शिक्षा की मिड डे मील योजना में बड़ा घोटाला पकड़ा गया है। योजना के 11 करोड़ 46 लाख रुपए प्राइमरी स्कूल का एक टीचर खा गया। विजिलेंस की जांच में टीचर के पास अकूत संपत्ति पाई गई है। विजिलेंस ने टीचर और घोटाले में शामिल शिक्षा सहित कई विभागों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

 विजिलेंस की जांच में पकड़ी गई अकूत संपत्ति

विजिलेंस की जांच में सामने आया कि फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में तैनात प्राइमरी स्कूल का सहायक अध्यापक चंद्रकांत शर्मा घोटाले का मास्टरमाइंड है। उसने 2006 में सारस्वत आवासीय शिक्षा समिति के नाम से संस्था बनाई। चिट फंड कार्यालय ने फर्जी दस्तावेजों पर संस्था का रजिस्ट्रेशन कर दिया। 2008 में चंद्रकांत ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करके जिले भर के स्कूलों के मिड डे मील का काम ले लिया।

नाम बदलकर खुद बना कोषाध्यक्ष, पत्नी को बनाया अध्यक्ष

शासन के निर्देश पर हुई जांच में पता चला कि चंद्रकांत के पिता संस्था के अध्यक्ष और मां कोषाध्यक्ष थी। परिवार के ही लोग सदस्य बनाये गए थे। मिड डे मील का काम मिलने के बाद उसने माता-पिता को मृतक दिखाकर खुद सुनील शर्मा के नाम से कोषाध्यक्ष बन गया। पत्नी बेबी शर्मा को अध्यक्ष नामित करवा दिया। लेकिन जांच में उसके माता पिता जीवित मिले।

घोटाले के रकम की हेराफेरी में बैंक भी हुए शामिल

जांच में सामने आया कि 2008 से मई 2014 तक इस संस्था को मिड डे मील का बजट दिया गया। यह रकम 114648500 रुपए थी। पहले यह रकम पंजाब नेशनल बैंक के खाते में भेजी गई। इसके बाद बैंक की मिलीभगत से इन रुपयों को संस्था के खाते से आगरा के कई बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी खातों में ट्रांसफर किया गया।

बिना नक्शे के आवास विकास परिषद ने बनवाया बंगला

मामले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर अमर सिंह के मुताबिक चंद्रकांत ने घोटाले की रकम से फिरोजाबाद में कई प्रॉपर्टी खरीदी। उसमें बिना नक्शा पास कराए बंगले खड़े किए लेकिन आवास विकास परिषद ने आपत्ति नहीं कि। जिले में बिजली की आपूर्ति करने वाले टोटेन्ट पावर लिमिटेड कंपनी ने फर्जी पेपर पर कनेक्शन भी दे दिए। नगर निगम ने भी प्रॉपर्टी के म्यूटेशन में कोई कागजात चेक नही किये।

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