स्कूलों में मिड-डे मील की हकीकत
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:परिषदीय स्कूलों का नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है। मगर, सत्र के शुरुआत में मिड-डे मील योजना में भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। मुजफ्फरनगर और खतौली नगर में कई स्कूलों के बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने खुद गुणवत्ता खराब बताई है। पूर्व माध्यमिक कंपोजिट विद्यालय कानूनगोयान खतौली में गुरुवार को बच्चों को दाल दी गई, जिसे अधिकतर बच्चों ने छोड़ दिया।

छात्रा जूही कहती हैं कि जिस दिन से स्कूल खुले हैं, तब से दाल पतली और रोटी भी पहले के मुकाबले छोटी दी जा रही है। हमारा पेट भी नहीं भरता। स्कूल में खाना बनता था तो सब बच्चे अच्छे से खाना खा लेते थे। छात्र आशु ने कहा कि भोजन से संतुष्ट नहीं है। स्कूल आना शुरू किया तो पहले तीन दिन तो भोजन स्कूल में मिला ही नहीं। अब मिल रहा है तो उसे खाने में बिल्कुल भी स्वाद नहीं आ रहा है। खतौली के स्कूल में अलग और शहर के स्कूल में अलग एनजीओ वितरण कर रहा है।
हां, बच्चे नाराज है, डिप्टी से करेंगे शिकायत
पूर्व माध्यमिक कंपोजिट विद्यालय कानूनगोयान खतौली के प्रधानाध्यापक सचिन कुमार स्वीकार करते हैं कि बच्चे खाना छोड़ रहे हैं। दाल और रोटी की गुणवत्ता बच्चों ने खराब बताई। पहले स्कूल में खाना बनता था, अब एनजीओ से वितरण करा रहे हैं। डिप्टी निरीक्षण पर आएंगे तो शिकायत की जाएगी।